वाराणसी। असम कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान का भ्रमण।
- यह विजिट हमारे लिए विकास के विभिन्न आयामों को सीखने का बेहतरीन अनुभव रहा : डॉ कल्याण पाठक
- इर्री के वैज्ञानिकों द्वारा धान के उच्च गुणवत्ता पूर्ण किस्मों के विकास, प्रजनन, बीज प्रणाली, मूल्य श्रृंखला प्रस्तावों एवं बीज व्यवस्था, प्राकृतिक प्रबंधन तकनीक, क्षमता निर्माण आदि पहलुओं पर विस्तार में जानकारी प्राप्त की
वाराणसी। अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के वाराणसी स्थित दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) में असम कृषि विश्वविद्यालय जोरहाट असम के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं एक्सटेंशन कर्मियों ने चावल अनुसंधान क्षेत्र में इर्री के किये जा रहे कार्यों का अवलोकन किया। एएयू के प्रतिनिधियों की यह टीम 11 से 13 मई तक इर्री के वाराणसी स्थित केंद्र में भ्रमण के लिए पहुँची।
इस दौरान उन्होंने इर्री के वैज्ञानिकों से धान के उच्च गुणवत्ता पूर्ण किस्मों के प्रजनन, बीज प्रणाली, मूल्य श्रृंखला प्रस्तावों एवं बीज व्यवस्था, प्राकृतिक प्रबंधन तकनीक, क्षमता निर्माण आदि पहलुओं पर विस्तार में जानकारी प्राप्त की। साथ ही असम में क्रियान्वित असम एग्री-बिज़नस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट (अपार्ट) से संबंधित सहयोग अवसरों पर भी वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल की टीम में एएयू के विभिन्न विभागों के एचओडी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रधान वैज्ञानिक और असम के कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुख शामिल थे। वर्ष 2018 से असम कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग, असम सरकार इर्री से प्रदान किये जा रहे तकनीकी समर्थन के साथ अपार्ट परियोजना के अंतर्गत असम के छोटे और सीमांत किसानों की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए धान मूल्य श्रृंखला में विभिन्न गतिविधियों को लागू कर रहा है। इस परियोजना में इर्री से क्षमता संवर्धन के ज़रिये सहयोग प्रदान किया जा रहा है। असम टीम के प्रतिनिधियों से भविष्य के संभावनाओ पर वार्ता करते हुए आइसार्क के निदेशक डॉ.सुधांशु सिंह ने असम में कार्यरत इर्री की टीम के आगामी समय में जल्द ही असम में राइस-फैलो क्षेत्रों में फसल सघनता को बढ़ाने की दिशा में काम करने की योजना की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने भविष्य में भी इर्री एवं आइसार्क के अपार्ट परियोजना एवं असम में धान अनुसंधान एवं विकास कार्यों में पूर्ण सहयोग बनाये रखने का आश्वासन भी दिया।
यात्रा के अपने अनुभव को साझा करते हुए एएयू के शस्य विज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. कल्याण पाठक ने कहा आइसार्क में इस तीन दिवसीय भ्रमण के दौरान हमें इर्री के चावल अनुसंधान एवं चावल आधारित कृषि प्रणाली में लागू की जा रही विभिन्न तकनीकों को देखने का अवसर मिला है। हमने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और सुविधाओं जैसे स्पीड ब्रीड सेंटर, प्राकृतिक उर्वरक इकाई, कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी सुविधा, मेकनिजेशन हब, जीआईएस प्रयोगशाला आदि का भी दौरा किया। यह एक्सपोजर विजिट वास्तव में हमारे लिए धान अनुसंधान एवं विकास के विभिन्न आयामों को सीखने का एक बेहतरीन अनुभव रहा है और हम आइसार्क के माध्यम से भविष्य में भी ऐसे ही सहयोग और ज्ञान साझा करने के अवसरों का स्वागत करेंगे। असम कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की इस टीम ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कृषि विज्ञान संस्थान पहुँचकर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ भी मुलाकात कर निकट भविष्य में असम में डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) की क्षमता के बारे में जानकारी प्राप्त की।