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    बलिया। एक मां के सवाल ने बेटे सहित पूरे हाल को रुला दिया।

    रिपोर्ट- सै० आसिफ हुसैन ज़ैदी

    बलिया। कहा जाता है कि मां के कर्ज को बच्चे कभी उतार नहीं सकते, वह पूरी जिंदगी उनके कर्जदार रहते हैं। पर यह तो बात हुई शास्त्रों की लेकिन हकीकत यह है कि आज भी कई मां ए अपनी जिंदगी बच्चों से दूर वृद्ध आश्रम में गुजारनी पड़ रही है। उस उम्र में जब उन्हें सबसे ज्यादा परिवार की और ख्याल  रखने वाले अपनों की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है। अनजान लोगों के बीच रहना जहां उनके सामने एक चुनौती होती है कि वह एक बार फिर से उन्ही लोगों के साथ नए रिश्ते बनाए और अपना जीवन अपनों के बिना गुजर बसर कर सके।

    ऐसी ही एक दिल छू देने वाला मां बेटे के बीच नाट्य संवाद देखने को मिला जिसे देखने के बाद होराइजन के हाल में सबकी आंखें भरआई। बेटा अपनी मां से अपनी शादी के बाद मां को वृद्ध आश्रम में रखने की बात करता है। मां एक बात को बार-बार पूछती है। जिस पर बेटा मां को झीड़कते हुए कठोर शब्दों का प्रयोग( तल्ख लहजे में) करते हुए झुझलाकर चिख़ते हुए जवाब देता है।

    फिर मां अपने बेटे को डायरी पर कुछ लिखे शब्दों को ज़ोर पढने को कहते हुए  उसके बचपन के बीते समय और उसी के सवालों को याद दिलाती हैं। जो आज मां अपने बेटे से कर रही है। बेटा पढते पढतें भाऊक हो जाता है और मां के क़दमों से लिपट कर रोते हुए पंश्चाताप करता है। यह देखते सुनते ही सबकी आंखें ढब ढबा जाती है। और हल्की सिस्कीयों के बीच तालियों कि गडगडाहट से पूरा हाल गूंज जाता है।



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