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    कानपुर। सखी केंद्र एवं नावों यु पी के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के लिए 27 अप्रैल से 6 मई तक लगातार अभियान चल रहा है।

    रिपोर्ट- इब्ने हसन ज़ैदी 

    कानपुर। इसी श्रंखला में आज 2 मई को सखी केंद्र  के  तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर असंगठित व घरेलू कामगार महिलाओं  के लिए संत शिरोमणि रविदास आश्रम  ईदगाह में  सेमिनार का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का आयोजन किरण जी द्वारा किया गया। जिसमें 157 महिलाओं की भागीदारी रही।  कार्यक्रम का आयोजन मीणा प्रताप एवं संचालन माया सिंह जी ने किया। 

    सखी केंद्र की महामंत्री नीलम चतुर्वेदी  ने सभी का स्वागत किया  और अपने विचार रखते हुए कहा की मजदूरों ने 8 घंटे काम करने के लिए अपना अपनी लड़ाई लड़ी और आंदोलन किया, जो पहले 12,13 घंटे काम करते थे, आज  8 घंटे काम करने के लिए अपनी लड़ाई लड़ी और आंदोलन किया । उनकी लड़ाई की जीत हुई और 13 घंटे की जगह 8 घंटे उन्होंने काम करना शुरू किया।   इसी तरह से वर्तमान समय में मजदूरों के लिए बहुत सारी चुनौतियां हैं  उन चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी लड़ाई लड़नी है, आप सब बहने जो काम करती हैं, आपको काम के दौरान अपने अधिकारों का ध्यान रखना होगा।  कहीं भी यदि आपका अपमान होता है तो वहां अपनी आवाज उठानी है, अब और अपमान को नहीं सहना है।  

    इसके बाद सभी महिलाओं ने एकजुट होकर नारे लगाया आवाज दो हम एक हैं, संगठन हमारी जान है मिलकर हम तूफान मजदूर दिवस जिंदाबाद जिंदाबाद, नावो की कोऑर्डिनेटर  प्राची त्रिपाठी ने गीत रखा -  अपने सपनों को जानने का हक है,  दरिया की कसम की मौजों की कसम, यह ताना बाना बदलेगा, तू खुद को बदल, तू खुद को बदल, तभी ही तो जमाना बदलेगा । सभी महिलाओं ने तालियों के साथ गीत  की लाइनों को दोहराया और महिलाओं के अंदर एक जोश और उत्साह था । 

    सखी केंद्र की माया सिंह जी ने सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, परिवारिक लाभ, आयुष्मान योजना, लेबर कार्ड आदि योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी, योजनाओं को लाभ लेने की पूरी प्रक्रिया के बारे में भी विस्तार से बताया।  

    माया कुरील जी ने अपने विचारों में रखा अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए आप सब को मजबूत होकर   संगठित होना पड़ेगा, संगठन में सबसे बड़ी शक्ति होती है आपकी एक संगठित ताकत है तभी आप अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचा सकते है।  डॉ भीमराव अंबेडकर का भी यही कहना था- संगठित हो शिक्षित हो संघर्ष करो।   डॉ भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी, हमें अब उस लड़ाई को आगे बढ़ाना है।  

    प्रभावती ने अपने विचारों में रखा सखी केंद्र संस्था 40 वर्षों से लगातार समाज में महिला अधिकारों के लिए सभी तरह के भेदभाव रहित और समानता पर आधारित समाज बनाने के लिए वह सामाजिक मुद्दों पर कार्य कर रहा इसी श्रंखला में मजदूर दिवस पर असंगठित और घरेलू कामगार महिलाओं की मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए घरेलू कामगार महिलाओं का न्यूनतम वेतन सरकार द्वारा तय किया हुआ लेकिन वह वेतन महिलाओं को नहीं मिल रहा, घरेलू कामगार महिलाओं के लिए  लेबर कार्ड की सभी योजनाएं,  उनके बच्चों की निशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य , पेंशन अन्य योजनाएं भी उनके लिए लागू की जाए । सरकार को महिलाओं की मांगों को प्राथमिकता से ध्यान देना होगा।  

    मीना प्रताप ने अपने विचारों में कहा आप सब लोगों को अपनी योजनाओं के लिए अपने अधिकारों के लिए हमेशा जागरूक रहना होगा क्योंकि अपने अधिकार और सरकारी योजनाएं दोनों आसानी से नहीं मिलती है,  बहुत ज्यादा संघर्ष करके लेना होता है इसलिए जो भी योजनाएं हैं उनको आगे बढ़कर आपको  लाभ जरूर लेना चाहिए। सखी केंद्र की ममता गुप्ता ने अपने विचारों में कहा सखी केंद्र द्वारा जो हेल्पलाइन  कभी किसी के ऊपर कोई भी हिंसा हो तो आप फोन द्वारा संपर्क कर सकते हैं।  संस्था द्वारा  आपकी समस्या के समाधान के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।  

    कार्यक्रम में मुख्य रूप से माया सिंह, माया कुरील, मीना प्रताप, प्रभावती, ममता गुप्ता, कंचन शर्मा एवं सशक्त लीडर्स  राजेश यादव,  कुसुम, शिक्षा, पलक, शशि, गुड्डी, पिंकी, रूबी की  भागीदारी रही। 

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