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    सम्भल। जकात किन लोगों को दें और फितरा कितना अदा करें जाने।

    उवैस दानिश\सम्भल। रमजान में जकात फितरा देने का बहुत महत्व है मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना मुहम्मद मियां ने बताया कि इस्लाम के पांच स्तंभ हैं इस्लाम के पांच स्तंभ में से एक स्तंभ जकात है अल्लाह ने मालदारो के ऊपर गरीबों का हक रखा है आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है उसका 2.5 फ़ीसदी हिस्सा किसी गरीब व जरूरतमंद को दिया जाता है जकात आठ तरह के लोगों को देनी चाहिए। जकात फकीरों, मिस्कीनो, जकात देने में भागदौड़ करने वालों की तनख्वाह, दावत ए दीन, गुलामों को आजाद कराने, कर्ज में दबे लोगों, इस्लाम के उत्थान व परदेसी को जरूरत पड़ने पर जकात देनी चाहिए क्योंकि यह हर मालदार पर फर्ज है। आगे कहा कि उलेमाओं ने बताया कि मस्जिदों, जनाजे, बीबी, बेटे, बाप को जकात नहीं दी जा सकती है।

    मौलाना मुहम्मद मियां, मुस्लिम धर्मगुरु

    मुस्लिम रमजान में रोजे रखते हैं रोजा रखने में गलत बात निकल जाती है इस गुनाह का कफ्फारा अदा करने के लिए गरीबों को फितरा दिया जाता है। इस तरह अमीर के साथ ही गरीब की भी ईद मन जाती है फितरा ईद की नमाज से पहले अदा करना जरूरी होता है। फितरे की रकम भी गरीबों, बेवाओं, यतीमो और जरूरतमंदों को दी जाती है। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना मुहम्मद मियां ने कहा कि फितरे की रकम तय नहीं होती है फितरा हर बालिग, नाबालिग, औरत, मर्द, बुजुर्ग मुसलमान पर वाजिब है। जैसे दौलत का शुद्धिकरण जकात अदा करना होता है और इंसानी जिस्म का सदका रोजा होता है वैसे ही रोजे का शुद्धिकरण फितरा होता है। माहे रमजान के रोजा रखने में कोई गलती हो सकती है उसी गलती को सुधार के लिए फितरा अदा किया जाता है। लोग फितरे की रकम 50 रुपये या उससे ज्यादा अदा करें। आगे उन्होंने कहा कि इस महंगाई के दौर में एक आदमी का दोनों टाइम का पेट भर जाए कोशिश यह करें कि 50 रुपये से ज्यादा फितरा अदा करें। गरीब अच्छा खाना खा लेगा तो अल्लाह ताला ज्यादा सवाब अता करेगा।

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