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    मिश्रित\सीतापुर। मिश्रित तीर्थ नाम के साथ खिलवाड़, मिश्रिख के रूप में प्रचारित करने का किया जा रहा काम।

    संदीप चौरसिया तहसील मिश्रिख की रिपोर्ट

    मिश्रित\सीतापुर। प्रदेश सरकार द्वारा धार्मिक महत्व को देखते हुए अनेक शहरों और स्थानों का नाम करण उनके पुराने प्राचीन मूल रूप में किया जा रहा है वही प्रशासनिक चाटुकारिता ने महार्षि दधीचि की पौराणिक तपोभूमि मिश्रित तीर्थ नाम के साथ खिलवाड़ करके इसे मिश्रिख के रूप में प्रचारित करने का काम किया जा रहा है आखिर इस धार्मिक नगर के नाम के साथ खिलवाड़ किए जाने की बात धर्म परायण लोगों के साथ ही बुद्धिजीवियों के गले नहीं उतर पा रही है। 

    बताते चलें सतयुग कालीन महर्षि दधीचि का संकल्प पूर्ण कराने के लिए पौराणिक उल्लेखों के अनुसार देवताओं ने त्रैलोक्य के समस्त तीर्थों का आवाहन करके उन्हें यहां बुलाया जिनके पावन जल से दधीचि जी ने स्नान किया जिस कारण समस्त तीर्थों का जल यहां एक में मिश्रण हुआ जिससे इस स्थान का नाम मिश्रित हुआ यहां पर यह भी बता दें कि महार्षि दधीचि शिव के अनन्य भक्त थे और उन्हीं के द्वारा यहां पर स्थापित सारस्वत कुण्ड पर सपत्नीक निवास और तपस्या करते थे इसी सारस्वत कुण्ड में  दधीचि जी के स्नानोपरांत समस्त तीर्थों का जल  एकत्र हुआ इसी कारण सारस्वत कुंड का नाम भी बदल कर दधीचि कुण्ड तीर्थ पड़ा। इस धार्मिक एवं ऐतिहासिक मिश्रित तीर्थ के नाम के साथ प्रशासनिक चाटुकारिता के चलते होने वाली छेड़छाड़ की तरफ प्रदेश की धर्म परायण सरकार के मुखिया को गंभीरता से पहल करते हुए ध्यान देने की आवश्यकता है अन्यथा स्वार्थी और चाटुकार  यहां के नाम का अस्तित्व ही मिटा देंगे ।

    उपरोक्त कथन के रूप में जीता जागता प्रमाण यह है कि यहां के तहसील मुख्यालय भवन पर बाहर तो मिश्रित तहसील लिखा है जबकि अंदर मीटिंग हाल में मिश्रिख लिखा हुआ खुलेआम दृष्टिगोचर हो रहा है जिसकी तरफ से यहां के उपजिलाधिकारी, तहसीलदार और अन्य जिम्मेदार भी पूरी तरह से अपनी आंखें बंद करके अन्जान बने हुए हैं ।इतना ही नहीं यहां कि रेलवे स्टेशन पर लगे बोर्डों के साथ ही रेलवे भवन पर भी पहले मिश्रित तीर्थ लिखा हुआ दिखाई पड़ता था लेकिन अब इन स्थानों पर भी मिश्रिख लिखा हुआ दिखाई दे रहा है यह ही नही यहां के विद्युत उपकेन्द्र और जिला पंचायत के डाक बंगला पर भी मिश्रित हटाकर मिश्रिख कर दिया गया है गौरतलब बात कि नाम परिवर्तित करने के पीछे कब जारी हुई अधिसूचना और किसके आदेश से परिवर्तित किया गया नाम?आखिरकार इस धार्मिक नगर के नाम खिलवाड़ के  साथ किसका है हाथ? कहीं इस धार्मिक क्षेत्र का अस्तित्व मिटाने की मन्सा तो नहीं।जबकि यहां के कोतवाली भवन ,नगर पालिका परिषद कार्यालय भवन, विकास खण्ड कार्यालय भवन आदि पर आज भी मिश्रित ही लिखा हुआ है फिर अन्य जगहों पर मिश्रित से बदल कर मिश्रिख कैसे हुआ। 

    धार्मिक मिश्रित नाम के साथ छेड़छाड़ और खिलवाड़ किए जाने की तरफ यहां के समाजसेवी एवं पत्रकार आलोक शुक्ला ने प्रदेश सरकार के मुखिया से उच्च स्तरीय जांच करा कर कार्यवाही करने के साथ ही संबंधित प्रशासन को उचित दिशा निर्देश जारी किए जाने की मांग की है ताकि स्वार्थी और चाटुकार इस धार्मिक क्षेत्र के नाम के साथ खिलवाड़ करने की मन्सा से बाज आ सके।

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