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    सम्भल। सम्भल की सिवइयां मंडल में की जाती है पसन्द।

    उवैस दानिश\सम्भल। तैयारी ईद-उल-फित्र की हो और उसमें कुछ मीठा न हो ऐसे भला कैसे हो सकता है। ईद पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन इस मौके पर सेवइयों की जगह कोई नहीं ले सकता है। भारत के अलग अलग हिस्से में सेवई को अलग अलग ढंग से बनाया जाता है। इस दिन सेवई का शीर खुरमा, सेवई का जर्दा, दूध वाली सेवई के साथ-साथ किमामी सेवई बनाई जाती है।

    सम्भल में 50 वर्षो से सेवइयां बनाने का काम अपने पिता शब्बर हुसैन के बाद शान वारिस कर रहे है ये डायमंड ब्रांड से अपनी सेवइयों को पूरे मंडल में भेजते है। यहाँ ईद पर मिठास घोलने के लिए लगभग 400 कुंतल सिवइयां तैयार की जाती है। 

    सबसे पहले मैदा का मिक्सर बनाया जाता है इस मिक्सर को मशीन से गुजारा जाता है फिर कच्चे माल को बासो पर सुखाया जाता है। उसके बाद इस के पंद्रह अट्ठारह किलो के गट्ठे बनाए जाते हैं 12 घंटे के लिए यह भट्टी में डाला जाता है फिर इस पर कलर चढ़ाया जाता है यहां तीन तरह की सिमैया बनाई जाती है न्यूडल्स, मीडियम साइज और बारीक सिवइयां बनाई जाती है। फिर इसके अलग-अलग तरह के पैकेट बनाए जाते हैं और इन्हें बेचा जाता है यह पूरे मंडल में सप्लाई होती है इसके साथ ही यह दिल्ली भी जाती हैं 10 कुंटल सिवइयां बनाने में 24 घंटे का वक्त लगता है पहले के मुकाबले काम हल्का है और महंगाई की मार भी है। 

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