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    बलिया। एनपीएस के खिलाफ शिक्षक-कर्मचारियों ने मनाया काला दिवस।

    बलिया। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के आह्वान पर जनपद बलिया के समस्त शिक्षा क्षेत्रों में शिक्षकों ने अपने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर एनपीएस के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ घनश्याम चौबे ने कहा कि आज ही के दिन (01 अप्रैल 2005) शेयर बाजार पर आधारित नई पेंशन व्यवस्था को लागू किया गया था। एनपीएस की यह व्यवस्था देश और प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के भविष्य को शेयर बाजार के दोराहे पर खड़ा करने का काम किया है। डॉ चौबे ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली तक हमारा संघर्ष चलता रहेगा।एसोसिएशन के आह्वान पर एक ओर जहां जनपद के समस्त शिक्षा क्षेत्रों में शिक्षक अपने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर अपना विरोध करा रहे थे, वहीं दूसरी ओर पूरे दिन सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर 1 अप्रैल काला दिवस और एनपीएस गो बैक की आवाज ट्रेंड करती रही। एसोसिएशन के संरक्षक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि देश के माननीयों की संवेदना मर चुकी है। वे खुद तो पुरानी पेंशन का लाभ ले रहे हैं, लेकिन आजीवन राष्ट्र की सेवा करने वाले शिक्षक एवं कर्मचारियों के लिए शेयर आधारित पेंशन को सही बताने में लगे हुए हैं। 

    जिला मंत्री धीरज राय ने कहा कि यह अभियान नो गारंटी नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) को वापस लेने और केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए चलाया जा रहा है। एसोसिएशन विभिन्न प्लेटफार्म पर पुरानी पेंशन बहाली तक अपना संघर्ष जारी रखेगा। निजीकरण और एनपीएस राष्ट्र और उसके नागरिकों के हित में नहीं है। एसोसिएशन इसका पुरजोर विरोध करता है। 

    वरिष्ठ उपाध्यक्ष अवनीश सिंह ने कहा कि एनपीएस शिक्षक/कर्मचारियों के साथ धोखा है। पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का साधन है। हमारा आंदोलन पुरानी पेंशन बहाली तक चलता रहेगा। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन पुरानी पेंशन बहाली के संघर्ष का संकल्प लेकर चला था, वह अब वट वृक्ष का रूप ले चुका है। यदि समय पूर्व सरकार पुरानी पेंशन लागू नहीं करती तो एनपीएस और सरकार में किसी एक की विदाई तय है। 

    पुरानी पेंशन बहाली और एनपीएस के विरोध स्वरूप काला दिवस मनाए जाने वाले मुहिम में सूर्य प्रकाश वर्मा, मनीष मिश्रा, अतुल तिवारी, अरविंद श्रीरश्मी, कमलेश यादव, निर्भय नारायण सिंह, अरविंद पांडे, जितेंद्र यादव, शर्मानाथ यादव, अरुण सिंह, सुरेश वर्मा, सुनील गुप्ता, मोइनुद्दीन अंसारी, नंदलाल वर्मा, संदीप सिंह, उपेंद्र नारायण सिंह, अजीत यादव, संजीव सिंह, नित्यानंद पांडे, रजत मद्धेशिया, अखिलेश सिंह, विवेकानंद तिवारी, नवीन सिंह, सरिता यादव, जितेंद्र दुबे, प्रवीण दुबे, प्रेमजी गुप्ता, अशरफ अली, अब्दुल सलाम, अनिल सिंह, संजय वर्मा, हरिहर नारायण यादव, अहमद सिबली, राघवेंद्र प्रताप राही, आशीष कुमार श्रीवास्तव, अशोक कुमार वर्मा, बृजपाल राव, राम बहादुर यादव,कुलदीप,हेमंत कुमार सिंह, रमेश सिंह, रामायण यादव, अम्बरीश गौतम, राधेश्याम गुप्ता, अरविंद सिंह, अमित शर्मा, सुशील कुमार गुप्ता, श्याम कुमार भारती, रजनीश मिश्रा, मनोज कुमार यादव, प्रमोद कुमार चौहान, अनिल कुमार, धर्मेंद्र कुमार वर्मा, मु. जाहिद, रविंद्र तिवारी, राजेंद्र तिवारी, जनार्दन दुबे, दिनेश वर्मा, मु.अतहर इर्शाद, सुनील सिंह, मनोज यादव, विनय चतुर्वेदी, धर्मेन्द्र कुमार, ओमप्रकाश यादव, वृजेन्द्र कुमार, मनीष गुप्ता, आनन्द कुमार, अजीत सिंह, अभय राठौर, नंद जी शर्मा, मनीष सिंह, किशन पासवान, रजत मद्धेशिया, आलोक वर्मा, जितेंद्र गुप्ता आदि की सक्रिय सहभागिता रही।

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