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    देवबंद। श्री त्रिपुर माॅ बाला सुन्दरी देवी मेला पण्डाल में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन।

    • राष्ट्र बड़ा सारे ही धर्मों को छोड़कर,आओ करें प्रणाम सभी हाथ जोड़कर: सौरभ कांत शर्मा

    शिबली इकबाल\देवबंद। श्री त्रिपुर माॅ बाला सुन्दरी देवी मेला पण्डाल में चल रहे कार्यक्रमो की श्रंखला में शनिवार की रात्रि अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मंच उद्घाटन वरिष्ठ पत्रकार अशोक गुप्ता, ने तथा मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन आईआईए के पूर्व चैयरमेन विजेश कंसल एंव मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण मनमोहन गर्ग, चैधरी सेवाराम द्वारा किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता दून वैली पब्लिक स्कूल के चैयरमेन राज किशोर गुप्ता द्वारा की गई।

    कवि सम्मेलन का उदघाटन करते अतिथि 

    कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा जिला अध्यक्ष डॉक्टर महेंद्र सैनी, विशिष्ट अतिथि वैभव अग्रवाल, स्वागत अध्यक्ष के रूप में अंकुर कंसल, मनोज बंसल एडवोकेट संयुक्त रूप से रहे। सह संयोजक गगन मित्तल एवं निखिल अग्रवाल, अवि त्यागी द्वारा सभी अतिथियों को माला पहनाकर पटका पहनाया गया और साथ में प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनको बैज लगाया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ माॅ सरस्वती की वंदना से किया गया।कार्यक्रम में नैनीताल से आई कवित्री नेशनल यूथ आइकन गोरी मिश्रा ने अपना काव्यपाठ करते हुऐ सुनाया कि जहाँ दुश्वार हैं राहें वहीं आराम लिखा है, यूँ लगता है मोहब्बत का कोई पैगाम लिखा है, मै अपना घर समझकर के चली आती हूँ यूँ अक्सर, तुम्हारे दिल के दरवाजे पे मेरा नाम लिख्खा है। फरीदाबाद से आये हास्य कवि दीपक गुप्ता ने कुछ यूँ अपना काव्य पाठ किया कि हारा चुनाव जैसे ही वो, दल बदल लिया,ये सोचकर कि उसने अपना कल बदल लिया,मैंने कहा उसे कि तू किरदार को बदल,कपड़े बदल के कहने लगा,चल बदल लिया।मंच का संचालन कर रहे मध्य प्रदेश से पधारे शशिकांत यादव शशि ने कहा कि 70 साल में कोई प्रधानमंत्री ऐसा है,जो दिल्ली में स्थित परिवार की समाधि को छोड़कर,मध्यप्रदेश में आकर चंद्रशेखर की मूर्ति को प्रणाम करता है,और परीक्षा शुरू होने से पहले बच्चों के साथ चर्चा कर उनका मनोबल बढ़ाता है।

    कवि सम्मेलन में अपना कविता पाठ करते कवि व कवयित्री

    लखनऊ से पधारे युवा कवि प्रख्यात मिश्रा ने अपनी लाइनों में कहा कि धर्म सनातन के ध्वज वाहक रामलला के अनुचर में, परिवर्तन की छमता थी बस बाबा के बुलडोजर में। बुलंदशहर से पधारे राष्ट्रीय कवि डॉ अर्जुन सिसोदिया ने अपनी लाइनों में कहा हलक में प्राण गद्दारों के अटका क्यों नहीं देते,बगावत के स्वरों को आप झटका क्यों नहीं देते, आज देशद्रोहियों की खुली हिमायत करते हैं,उन्हें आप फांसी पर लटका क्यों नहीं देते प्रोफेसर सौरभ कांत शर्मा ने सुनाया कि राष्ट्र बड़ा सारे ही धर्मों को छोड़कर। आओ करें प्रणाम सभी हाथ जोड़कर,इतना तो मान रखना मेरे प्रभु मेरा,अंतिम सफर पे निकलूं तिरंगे को ओढ़कर।कार्यक्रम में कवि मोहित संगम,कवि अमित शर्मा,कवयित्री अंजलि सिसोदिया आदि ने भी अपना काव्य पाठ किया।कवि सम्मेलन का समापन पर सभी कवियों को कार्यक्रम संयोजक के द्वारा पटके माला और प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया।इस अवसर पर चैधरी राजपाल सिंह,राजीव गुप्ता, विकास त्यागी,मोंकित पुंडीर,राजेश अनेजा विकास त्यागी,राजू सैनी,विकास त्यागी,अमित सिंघल एडवोकेट रितेश बंसल एडवोकेट,पुनीत बंसल, सहित सैकड़ों की संख्या में दर्शक महिलाएं बच्चे और सुरक्षा हेतु पुलिस बल एवं नगरपालिका कर्मचारी मौजूद रहे।

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