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    हाथरस। आरक्षण की आड़: किसी को सुहाई, किसी के बहे अरमान।

    • हाथरस फिर से अनुसूचित जाति के लिए व सिकन्द्राराऊ अनारक्षित, नगर पंचायत सहपऊ, हसायन व सादाबाद आरक्षण की जद में। 

    हाथरस। नगर निकाय चुनावों की सरगर्मियां अब निकाय आरक्षण जारी होने के बाद शुरू हो गई हैं और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद  कुछ को आस बंधी तो कुछ के चेहरों पर फिर से निराश नम अंधेरा छा गया है। इधर कोर्ट से कनेक्शन हटते ही निर्वाचन आयोग भी अपनी फारम में आ गया है और अधिसूचना जारी करते ही आरक्षण जारी कर दिया है। खासतौर पर हाथरस के लिए  आयोग ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण घोषित किया  है।
    बता दें पूर्व में निर्वाचन आयोग ने जब अधिसूचना जारी की थी तो इस पर तमाम आपत्तियां जाहिर की गई थी और कुछ लोग तो मामले को न्यायालय में ले गये थे। हालांकि अब कोर्ट आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने फिर से अधिसूचना जारी करते हुए जिले की दो नगर पालिकाओं में से हाथरस को अनुसूचित जाति के खाते में दिया है। जबकि  सिकन्द्राराऊ को अनारक्षित रखा है। पहले हाथरस अध्यक्ष पद के लिए अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षण जारी किया गया था।

    दूसरी ओर सात नगर पंचायतों में से सहपऊ को अनुसूचित जाति महिला, मैंडू और सासनी को अनारक्षित रखा है। हसायन को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया है। जबकि नगर पंचायत पुरदिलनगर व मुरसान को अनारक्षित रखते हुए सादाबाद को महिला के लिये आरक्षित किया है। नगर पंचायतों में हुए आरक्षण को लेकर फेरबदल से कुछ उम्मीदवारों के गणित बिगड़ गये हैं। जबकि कुछ की आशाओं में पंख लग गये हैं।
    दूसरी ओर हाथरस के आरक्षण को लेकर लोगों में कुछ निराश सी दिखाई दी है। क्योंकि बीते पांच वर्षों में क्षेत्र में जो हुआ वह लोगों को भा गया था और जनता पुनः पुरानी पटकथा को ही दौहराने की मंशा लगाये थी। खैर चूंकि अधिसूचना जारी हो चुकी है। अब जल्द ही निर्वाचन को लेकर समय के भी पत्ते खुल सकते हैं। इधर आरक्षण की आड़ जिन के अनुकूल रही है। उन्होंने अपने हक में पैरवी के हर संभव प्रयासों को फुल स्पीड़ में दौड़ा दिया है। रही बात पत्ता किसके हक में खुलेंगे यह तो आने वाला वक्त और उम्मीदवारों के नक्षत्रों पर निर्भर करता है।

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