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    कानपुर। मग़फिरत का अशरा ख़त्म होने वाला है, तौबा व इस्तेगफार करके बख्शिश की दुआ मांगें : क़ारी अब्दुल मुईद चौधरी

    रिपोर्ट- इब्ने हसन ज़ैदी 

    कानपुर। रमज़ान मुबारक के दूसरे अशरे में अल्लाह की जानिब से मग़फिरत व बख्शिश का दरिया बहाया जाता है। हम पर लाज़िमी है कि कर्त्व्यबोध के साथ रोज़े रखें, अपने गुनाहों, अपनी कोताहियों और अपनी कमियों को याद करके सच्चे दिल से तौबा व इस्तेग़फार करे। इन विचारों को जमीयत उलेमा कानपुर के सचिव क़ारी अब्दुल मुईद चौधरी ने व्यक्त करते हुए कहा कि रमज़ान का पहला अशरा ख़त्म हो चुका है और दूसरा अशरा मग़फिरत का ख़त्म होने वाला है जिसका मतलब यह है कि अल्लाह तआला इस महीने की बरकत से हमसे राज़ी और खुश होकर हमारी मग़फिरत व बख्शिश कर दे। इसका तीसरा अशरा जहन्नम से आज़ादी का आ रहा है। 

    जिसमें अल्लाह तआला हमें आखि़रत में जहन्नम की आग से निजात अता फरमायेंगे। क़ारी अब्दुल मुईद ने कहा कि रमज़ान मग़फिरत व बख्शिश का वह पवित्र महीना है कि अगर उसको पा लेने के बाद भी कोई भी शख्स अल्लाह तआला की रहमत और मग़फिरत और जहन्नम से निजात पाने से महरूम रह गया तो वह बड़ा बदक़िस्मत होगा। क़ारी अब्दुल मुईद ने कहा कि अल्लाह तआला को इंसानों को भूखा और प्यासा रहने से कोई फायदा नहीं बल्कि वह तो इंसानों की भलाई चाहता है तो वह रोज़े रखने की बरकत से अपने शरीर और आत्मा में सुधार करके अपनी दुनिया व आखिरत की ज़िन्दगी संवार कर कामयाब होकर आखिरत की नेमतें अपने दामन में समेट लें।

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