सम्भल। समलैंगिक विवाह एक बीमारी, इससे होगा समाज खराब: मौलाना मौहम्मद मियां।
उवैस दानिश\सम्भल। समलैंगिक विवाह के खिलाफ मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है याचिका में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह परिवार व्यवस्था पर हमला है यह पुरुष और महिला के बीच शादी की अवधारणा को मान्यता देने वाले सभी धर्मों के पर्सनल लॉ के खिलाफ हैं। इसको लेकर सम्भल के धर्मगुरु मौलाना मौहम्मद मियां ने कहा कि समलैंगिक विवाह एक बीमारी है इससे समाज खराब होगा सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला देना चाहिए कि समलैंगिक विवाह गैर कानूनी है और यह अपराध है।
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मौलाना मौहम्मद मियां, धर्मगुरु |
धर्मगुरु मौलाना मौहम्मद मियाँ ने समलैंगिक विवाह पर बोलते हुए कहा कि समलैंगिक मजहब के खिलाफ है इस्लाम में हमें कुरान ए करीम के अंदर कौम ए लूत का वाकिया मिलता है उसके ऊपर अल्लाह ताला ने इसी गुनाह की वजह से शदीद अज़ाब नाजिल किया था हिंदुस्तानी कानून में भी यह चीज गैरकानूनी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में इसको गैरकानूनी होना खत्म किया है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इसकी इजाजत नहीं दी है कि हम जींस आपस में शादी कर सके। सेहत के एतबार से भी जब हम डॉक्टरों से पूछते हैं तो वह भी बताते हैं यह सेहत के लिए नुकसानदेय है। दरअसल यह बीमारी है अगर आदमी अपने जींस की तरह ही मर्द मर्द से औरत औरत से अपना सेक्स पूरा करना चाहता है यह उसके अंदर कुछ कमी होती है उसकी वजह से वह इस बात की ख्वाहिश करता है अगर समलैंगिक विवाह को वैधानिकता और कानूनी पुष्पनाही हासिल हो जाएगी तो इसका मतलब यह है कि इस बीमारी को और एक भारतीय समाज और इस्लाम के खिलाफ एक व्यवस्था को कानूनी पनाह मिल जाएगी मैं समझता हूं इसे नहीं होना चाहिए और इसको गैरकानूनी मानना चाहिए इससे हमारा समाज खराब हो जाएगा जाहिर सी बात है जब औरत मर्द से राब्ता होता है जब जिंसी ताल्लुक कायम होता है तभी औलाद पैदा होती है औरतों से औरतें और मर्दों से मर्द राब्ता करेंगे और अपनी शहबत को पूरा करेंगे तो भारतीय समाज के ऊपर, उसकी आबादी के ऊपर, घरेलू व्यवस्था के ऊपर भी इसका बुरा असर पड़ेगा तो हम समझते हैं जमीयत उलेमा ए हिंद ने जो रिट दायर की है वह ठीक है और सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला देना चाहिए कि समलैंगिक विवाह गैर कानूनी है और यह अपराध है।