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    भगवान का नाम और भगवान की कथा दोनों ही अमृत के समान है, भागवत का उद्देश्य प्रेम बढ़ाना है - रविनंदन शास्त्री महाराज

    भाव से बुलाने पर परमात्मा दौड़े चले आते है

    "रामहि केवल प्रेम पियारा

    जान लेइ सोई जानति हारा"

    श्री बांके बिहारी सेवा समिति के तत्वधान में आयोजित हो रही श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन पूजन के उपरांत वृंदावन के परम पूज्य रविनंदन शास्त्री महाराज ने बताया कि भागवत का उद्देश्य ही प्रेम बढ़ाना होता है। श्री शुकदेव जी प्राकट्य एवं भीष्म कुंती स्तुति प्रकरण का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि सज्जनों की संपत्ति परोपकार के लिए होती है। जिसके साथ भगवान होता है उसे भय नही होता है अतः हर समय ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए, परमात्मा के दिये प्रत्येक एहसान का उपकार मानना चाहिए। परमात्मा जाति, धर्म नही देखता वह सिर्फ प्रेम भाव को महत्व देता है।

    उन्होंने प्रभु प्रेम के बारे में बताते हुए कहा कि हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रकट होई मैं जाना। सुमधुर संगीत के द्वारा भागवत कथा में सभी ने कथा का श्रवण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। कथा उपरांत हुई आरती में सभी ने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया। आचार्य अशोक मिश्र ने अपने सहयोगियों द्वारा विधि विधान से पूजन कार्य सम्पन्न कराया। कथा में मुख्य यजमान शंकर बख़्श सिंह एवं विमला सिंह रहे आज का पूजन विजयकांत मिश्र मालती मिश्र द्वारा किया गया। चरण पादुका सेवा तथा जल सेवा में सेवादारों द्वारा सेवा प्रदान की गई। फूल बंगला की सेवा युवराज सिंह महिमा सिंह द्वारा सपरिवार की गई। गुलाब जल वर्षा सेवा विवेक पांडे कन्नौज के द्वारा की जा रही है।

    कथा में प्रमुख रूप से समिति अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, राहुल मिश्र, आशीष सोलंकी, श्री कृष्ण शास्त्री, विजय कांत मिश्र, मनीष चतुर्वेदी, गौरव सिंह भदौरिया, अशोक सिंह लालू, श्यामजी गुप्ता, उदित सिंह, प्रवीण सिंह, कमल जायसवाल, ओमप्रकाश मिश्र, गौतम सिंह, पंकज अवस्थी, शिवम सिंह, कपीश चतुर्वेदी सहित समिति के सदस्य तथा श्रद्धालु उपस्थिति रहे। 

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