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    देवबंद। नगर पालिका चुनावी हलचल: चेयरमैन सीट पर तिकोना मुकाबला होने के आसार, मगर तीनो ही प्रत्याशी अपनी के प्रति आस्वस्त 90 हजार वोटों में हिंदू वोट लगभग 30 हजार हो सकता है बेडा पार।

    • माविया अली भाजपा से नाराज हिन्दू वोटरों में कर सकते सेंधमारी

    देवबंद। नगर पालिका चुनाव की सरगर्मिया लगातार बढती जा रही है प्रत्येक वार्ड से सभासद उम्मीदवारों के द्वारा घर-घर जाकर अपनी वोटे पक्की करने का कार्य जारी है।इसी प्रकार दूसरी ओर चेयरमैन पद उम्मीदवारों के द्वारा भी सुबह और शाम वोटरों के घर-घर जाकर संपर्क करने के साथ-साथ वोट मांगें जा रहे है।इतना ही नही कुछ महिला मंडलियों को भी वोट मांगने के लिए  लगाया गया है।देवबंद नगर में नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए वैसे तो लगभग दो दर्जन नाम घोषित हैं परंतु मुख्य संघर्ष दो पूर्व चेयरमैन और एक भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान प्रत्याशी के बीच है। सभी प्रत्याशी अपने अपने तरीके से चुनाव लड़ने में लगे हैं। तीनों प्रत्याशी लगातार जनता के सामने जीत का दावा प्रस्तुत कर रहे हैं।दो प्रत्याशी जिनमें एक पूर्व चेयरमैन व विधायक रहे माविया अली की धर्म पत्नी है और दूसरे प्रत्याशी पूर्व चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी की ओर से उनके पुत्र हैं इन दोनों में कांटे की टक्कर बताई जा रही है।  दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विपिन गर्ग जो पूर्व से नगर अध्यक्ष होने के साथ-साथ नामित सभासद भी रहे हैं वह मैदान में उतरे हैं और इनको स्थानीय विधायक व राज्य मंत्री कुंवर बृजेश सिंह का पूर्ण समर्थन प्राप्त है।

    संघर्ष तिकोना है परंतु नगर में चर्चा है कि इस बार आजादी के बाद से लगातार बन रहे मुस्लिम चेयरमैन वाली परिपाटी को तोड़ दिया जाएगा। वैसे तो यह असंभव नजर आता है मगर लगभग 15 वर्ष पूर्व एक नई परम्परा ने जन्म लिया था।तत्कालिक सपा सरकार के राज्यमंत्री द्वारा शुरू हुई इस परम्परा के अंतर्गत भाजपा के जीते प्रत्याशी को जबरदस्ती हरा दिया गया था। वैसे वोटों के हिसाब से यदि देखा जाए तो लगभग 90 हजार वोटों में हिंदू वोट लगभग 30 हजार हैं।परंतु दूसरी ओर दो मजबूत दावेदार चुनाव मैदान में होने के चलते इस संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।अधिकारी उस समय की सरकार की तरह ही इस बार भी कोई करिश्मा दिखा सकते है।वैसे तो हिं दू लोग जब से प्रदेश में योगी सरकार आई है एकजुट है,क्योंकि उसको लगता है कि यदि भाजपा सरकार चली जाएगी तो फिर से गुंडाराज कायम हो जाएगा इस दृष्टि से हिंदु वोट एकजुट है।दूसरी ओर इसके विपरीत यह भी चर्चा है कि वर्तमान प्रत्याशी को वोटर पचा नहीं पा रहे है।पुराना बीजेपी का ग्रुप उस उत्साह से चुनाव में भाग नहीं ले रहा है जिस उत्साह से उसको लेना चाहिए था वैसे उनका यह कहना की उनको सम्मान नहीं दिया जा रहा है कहीं तक यह उचित भी है।कार्यकर्ता को सम्मान नही मिलेगा तो वह क्यू धक्के खायेगा। इस प्रकार के कई कारण बने है।जो भाजपा प्रत्याशी के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं,वहीं दूसरी ओर माविया अली और जियाउद्दीन अंसारी के बीच 36 का आंकड़ा है।इसलिए मुकाबला मान और सम्मान तक पहुंचा हुआ है इन्हीं के बीच एक तीसरा प्रत्याशी जो कुरैशी बिरादरी से है वह भी अपने पैसे के बल पर चुनाव जीतना चाहता है,वैसे तो कुरैशी समाज माविया अली को सीधे-सीधे सपोर्ट करता है।इस कारण यदि सोचा जाए तो मुकाबला माविया अली और भाजपा प्रत्याशी के बीच हो सकता है।मगर जियाउद्दीन अंसारी अपनी बिरादरी अंसारी और तेली दोनों के बल पर जीतता रहा है।उनके वोटर को इस वजह से पूरी उम्मीद है कि वह इस बार के तिकोने मुकाबले में सीट निकाल सकते हैं जनता को 5 वर्ष में वर्तमान रहे चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी के द्वारा नगर को कुछ खास नहीं दिया गया।अगर दिया गया तो भ्रष्टाचार और जाति व धर्मवाद।इन सभी बातों को देखते हुए मुस्लिम समाज में भी गुट बंदी नजर आ रही है।भाजपा प्रत्याशी के प्रति उसके समाज में सिंपैथी तो नजर आती है पर तीनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला कडा है।भाजपा प्रत्याशी को चाहिए कि वह मुस्लिम समाज के वोटर को भी साधने का काम करें तभी इतिहास को दोहराया जा सकता है।देखना है कि जीत का ताज किसके सिर पर बंधता है।यह तो आगामी 13 मई को गिनती के बाद ही पता चलेगा।

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