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    सुल्तानपुर। सरकारी मानक को दरकिनार कर कृषि क्षेत्र के लिए अभिशाप बनते ईट भट्ठा उद्योग।

    • गरीब किसान और मजदूरों का लगातार हो रहा है शोषण

    सुल्तानपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में खुले ईट भट्ठा उद्योग गरीब मजदूरों के रोजगार का जरिया हुआ करते थे लेकिन आज ईट भट्ठा उद्योग मालिकों प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत ने ग्रामीण क्षेत्र में खासकर कृषि क्षेत्र के लिए  के लिए अभिशाप बना दिया है सुल्तानपुर जिले के कई विकास खंडों की ग्राम सभाओं में ईंट भट्ठा उद्योग की चिमनिया धड़ल्ले से जहर उगलती दिख जाएंगी जो बिना सरकारी मानक को पूरा किए बदस्तूर ना केवल गरीब किसानों का बल्कि दूरदराज व दूसरे प्रदेश से आए मजदूरों का शोषण कर रही है काम की तलाश में दूरदराज व दूसरे प्रदेशों से आए मजदूर दो वक्त की रोटी और व अपनों का पेट भरने के लिए ईट भट्ठा उद्योग मालिकों के शोषण का शिकार हो रहे हैं जिन्हें यह भी नहीं पता कि ईट भट्ठा उद्योग मालिकों द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है। 

    खासकर झारखंड पश्चिम बंगाल और बिहार से आए मजदूर दिन रात  अपना खून पसीना बहा रहे हैं जबकि इन मजदूरों के रहने के लिए ना तो समुचित व्यवस्था है और न ही इनके के बच्चों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्था यही नहीं ईट भट्ठा उद्योग  मालिक इन मजदूरों को शुलभ शौचालय तक की व्यवस्था नहीं दे रहे! जबकि ईट भट्ठा उद्योग मालिकों के लिए शासनादेश है कि ईट भट्ठा उद्योग में काम करने वाले मजदूरों और उनके बच्चों  के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा की समुचित व्यवस्था की जाए यही नहीं ईट भट्ठा उद्योग मालिक ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब अनपढ़ किसानों से  अपने फायदे के लिए कृषि योग्य भूमि को ओने पौने दामों में लेकर कई सालों तक ईट भट्ठा के लिए 5 से 6 फीट तक  मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है I जबकि सरकारी मानक इसकी इजाजत नहीं पैसे का लालच आर्थिक  तंगी में जिन किसानों ने अपनी खेती योग्य जमीन क़ो ईट भट्ठा मालिकों को 15 या 20 साल के लिए दे दी है आज वह भूखमरी के शिकार हो गए हैं सालों से ईंट भट्ठा उद्योग में बंधक पड़ी जमीन के कारण गरीब किसान आज ईट भट्ठा उद्योग  में ही मजदूरी के लिए मजबूर हो गया हैI सरकारी मानक को ताक पर रखकर ईट भट्टा मालिक धड़ल्ले से वन माफियाओं के द्वारा जंगल को साफ कराया जा रहा है बल्कि धड़ल्ले से प्रतिबंधित पेड़ भी काटे जा रहे हैं I सुल्तानपुर जिले के विकासखंड धनपतगंज और बल्दीराय क्षेत्र की प्रत्येक ग्राम सभाओं में तीन से चार ईट भट्ठा उद्योग मिल जाएंगे जिनकी आपस में दूरी 200 मीटर से भी कम है और इन इन भट्टा उद्योगों पर प्रतिबंधित पेड़ों की लकड़ियों का ढेर तक जाएगा लेकिन जिला प्रशासन संबंधित अधिकारी की मिलीभगत से सरकारी मानक को दरकिनार कर गरीब मजदूरों किसानों  का शोषण करते ईट भट्ठा उद्योग की चिमनी से धुए का जहर निकलता दिख जाएगा लेकिन भट्ठा उद्योग मालिकों पर कोई प्रशासनिक कार्यवाही नहीं होती तभी तो कहा है समरथ को नहिं दोष गुसाईं  समर्थ ईट भट्ठा उद्योग मालिकों का शोषण लगातार जारी है। 

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