कानपुर। सदके फितर व दीगर अतियात से गरीबों की करें मदद - मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी
रिपोर्ट- इब्ने हसन ज़ैदी
कानपुर। सदके फित्र अदा करना ईद उल फितर से पहले हर मालिके निसाब पर वाजिब है जब तक सदके फितर अदा नहीं किया जाता बंदे का रोजा जमीन व आसमान के दरमियान ही में रहता है और उसका रोजा तब तक मकबूल नहीं होता जब तक के वह उसे अदा ना कर दे, लेहाज़ा अगर यह गेहूं के या उसका आटा या सेत्तु के जरिए अदा किया जाए। तो पी नफर 2 किलो 45 ग्राम अदा करना होगा जिसमें गेहूं की इतनी मिक्दार की कीमत इस साल 60 रूपया मुकर्रर की गई है और अगर उसे खजूर या मुनक्के या जौ या उसके आटे या सेत्तु से अदा करना चाहे तो 4 किलो 90 ग्राम फी नफर अदा करना होगा।
यह ऐलान व बयान अक्सा जामा मस्जिद गद्ददीयाना मैं तकरीर के दौरान मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी इमाम ईदगाह गद्ददीयाना कानपुर व सदर ऑल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल ने किया उन्होंने मज़ीद कहा कि गेहूं या जौ देने से उसका आटा देना अफजल है और उससे अफजल यह है कि गेहूं की कीमत दे या जौ की या खजूर की या मुनक्के की इनमें से किसी एक की कीमत अदा करें इस माहे मुबारक में मुल्क हिंदुस्तान में अमनो अमान तरक्की व खुशहाली के लिए अल्लाह तआला की बारगाह में रो रो के मौलाना मुहम्मद हाशिम अशरफी ने दुआ मांगी।