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    कानपुर। एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी के आयोजन।

    कानपुर से तकी हैदर

    कानपुर। संस्कृत वाङ्मय में समाजोपयोगी सन्दर्भ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी के आयोजन के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद, लखनऊ द्वारा प्रायोजित एवं डी0ए-वी0 कालेज, कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 18 मार्च, 2023 दिन शनिवार को 10.30 बजे संस्कृत वाङ्मय में समाजोपयोगी संदर्भ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया कार्यक्रम का प्रारम्भ डी ए वी कालेज नवनिर्मित डॉ नागेन्द्र स्वरूप स्मार्ट हाल में माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण दीप प्रज्वलन व वैदिक एवं लौकिक मन्त्रोचार के साथ प्रारम्भ हुआ। दीप प्रज्वलन के पश्चात् संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो0 अनिल कुमार सिन्हा ने अभ्यागत अतिथियों का स्वागत करते हुए देववाणी की महत्ता एवं वर्तमान में उसकी उपादेयता को इंगित किया। विषय प्रवर्तन करते हुए विनोद कुमार पाण्डेय ने संस्कृत साहित्य के सामाजिक सरोकार पर प्रकाश डाला और इसे लोककल्याणकारी साहित्य बतलाया, इसमें एकात्म मानववाद और विश्व वन्धुत्व तथा विश्वमैत्री का संदेश संग्रहित है। 

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में महावीर अग्रवाल प्रतिकुलपति पतंजलि हरिद्वार ने वैदिक साहित्य में यज्ञ-विधान और उसकी सामाजिक उपयोग को उल्लेखित किया विनय कुमार विद्यालंकार मुख्यवक्ता ने दार्शनिक प्रस्थानों में मनुष्य का श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए पुरुषार्यचतुष्ट्यों की अनिवार्यता पर बल दिया रामहित त्रिपाठी, पूर्व प्राचार्य कृषक महाविद्यालय वस्ती ने उपनिषदों में मानवकल्याण के निमित्त सन्दर्भों के सम्बन्ध में विस्तार से विचार प्रस्तुत किया कार्यक्रम में विभिन्न प्रातों से वदसपदम एवं वििसपदम सम्मिलित संस्कृत विद्वानों एवं शोध छात्रों जिनकी संख्या 148 है अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

    कार्यक्रम के अन्तिम समापन सत्र में राधेश्याम गंगवार ने संस्कृत काव्यग्रन्थों की सामाजिक उपयोगिता पर अपना व्याख्यान दिया नीलम त्रिवेदी में समग्र संस्कृत-साहित्य के लोककल्याणकारी स्वरूप को रेखांकित किया विजय लक्ष्मी त्रिवेदी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सभी शोध पत्रों की समीक्षा प्रस्तुत की तथा व्याकरण शास्त्र की सामाजिक उपादेयता पर भी प्रकाश डाला। 

    कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का संचालन सवितुर प्रकाश गंगवार ने एवं समापन सत्र का संचालन अमित द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य अरुण कुमार दीक्षित ने कहा कि संस्कृत भारतीय संस्कृति को जानने समझने और चरित्रनिर्माण की कुन्जी है। प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को और जीवन-दर्शन को भली प्रकार से अभिव्यक्त करने वाला साहित्य संस्कृत साहित्य है ममता शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संस्कृत विभाग के सभी शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी पूर्ण तन्मयता से कार्यक्रम में सम्मिलित हुए डी ए वी महाविद्यालय एवं विभिन्न अन्य महाविद्यालय के शिक्षक भी कार्यक्रम में सहभागी बने। इस अवसर पर सुधीर श्रीवास्तव पुष्पेन्द्र त्रिपाठी अनिल पंडा मीडिया प्रभारी डी पी राव आदि उपस्थित रहे। 

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