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    अजगर करे न चाकरी,पंछी करे न काम।

    राकेश अचल का लेख। मलूकदास की कोई किताब नहीं छपी।छपी भी होगी तो विश्व पुस्तक मेले में किसी ने उसका विमोचन नहीं किया, फिर भी मलूकदास तमाम कवियो से ज्यादा लोकप्रिय हैं।उनका एक दोहा -'अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।दास मलूका कह गए, सबके दाता राम'। किसी भी महाकाव्य पर भारी है। यदि उस जमाने में रायल्टी का चलन होता तो तय मानिए मलूकदास जी सबसे अमीर कवि होते।

    बहरहाल आज मुझे मलूकदास जी की बहुत याद आ रही है।मै उनका एकलव्य हूं।अनन्य कहिए या अंधभक्त। हूं तो हूं।सब कहते हैं कि मैंने वक्त से पहले काम करना छोड़ दिया। मुझे भी लगता है कि ये आरोप सही है। लेकिन मेरे हाथ में कुछ नहीं है।मै तो आज़ भी काम करने के लिए तत्पर रहता हूं किंतु कोई काम दे तब न ?

    दरअसल मेरे निठल्लेपन के पीछे समय के साथ ही मलूकदास जी भी हैं। मेरे पास काम नहीं है तो भी मैं न परेशान होता हूं और न मेरी तबियत नासाज होती है। मुझे मलूकदास जी के कहे पर अखंड भरोसा है। मै मानता हूं कि जब बिना किसी काम के अजगर और पंछियों को राजा राम देते हैं तो मुझे भी उपकृत करेंगे ही, क्योंकि तमाम निकम्मा होने के बावजूद मै हर दिन लिखता हूं।

    मलूकदास जी के प्रति मेरी भक्ति से मेरे परिवार के साथ ही दोस्त और दुश्मन भी दुखी रहते हैं किंतु मैं पूरी तरह से सुखी हूं। मुझे मलूकदास जी ने कान में कह दिया है कि जब तक सरकार, परिवार और समाज की श्रद्धा आपके प्रति है आप भूख -प्यास, से नहीं मरेंगे। आपको जिम जाने की भी कोई जरूरत नहीं।जिम जाने वाले भी जब हृदयाघात के शिकार हो रहे हैं तो जिम जाने का क्या मतलब?

    मलूकदास जी अक्सर सवाल करते हैं कि आपने कभी किसी अजगर को जिम जाते देखा? कभी सुना कि कोई पंछी जिम जाकर कसरत करता है ? सचमुच मलूकदास जी के सवालों का कोई जवाब नहीं है। इसीलिए मैं घर पर ही अजगर की तरह गुड़ीमुड़ी हो लेता हूं। पंछियों की तरह पंख फड़फड़ा लेता हूं। मेरे लिए इतना ही पर्याप्त है। मै जिम नहीं जाता इसका मतलब ये नहीं है कि आप भी जिम न जाएं।शौक से जाएं पर अति न करें। भगवान के बनाए शरीर से छेड़छाड़, जबरदस्ती ठीक नहीं है।

    बहरहाल सुष्मिता सेन स्वस्थ्य रहें। उनके दिल का स्टंट सही ढंग से काम करे। भगवान करे कि सुष्मिता की तरह किसी को भी आफ्टर जिम स्टंट न लगवाना पड़े। मेरी सलाह तो ये है कि आप ज्यादा जिम जाने के बजाय अपने शहर के जिमखाना में जाया करें।एक -दो पैग लिया करें। मेरी तरह सूखे शंख बजाने से कुछ नहीं है। धर्मेंद्र पा जी की तरह रोज द्राक्षासव लें। ब्रांड कोई भी हो।

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