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    लखनऊ। डीजीपी ने भूमि और संपत्ति के मामलों में पुलिस को हस्तक्षेप न करने की दी चेतावनी।

    अतुल कपूर (स्टेट हेड)

    लखनऊ। भूमि और संपत्ति के विवादों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करना पुलिसकर्मियों को महंगा पड़ सकता है। कब्जा दिलाने या कब्जा हटाने में यदि इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर तथा उनके अधीनस्थ पुलिसकर्मी यदि अनावश्यक रूप से रुचि लेते हैं तो उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही हो सकती है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक देवेंद्र सिंह चौहान ने सभी पुलिस अधीक्षकों एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को परिपत्र जारी करके सचेत किया है।

    परिपत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय का भी जिक्र किया गया है जिसमें उच्च न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की है कि पुलिस द्वारा कब्जा दिलाने और कब्जा हटाने की अनेक शिकायतें न्यायालय को मिल रही है। परिपत्र में पुलिस महानिदेशक ने एक गाइडलाइन भी जारी की  है। जिसमें कहा गया है कि भूमि अथवा संपत्ति के विवाद में संबंधित उप जिलाधिकारी व राजस्व विभाग की उपस्थिति में ही प्रकरण की जांच की जाए तथा स्वयं किसी प्रकार की कार्रवाई से बचा जाए। यदि न्यायालय या संबंधित मजिस्ट्रेट का लिखित आदेश हो तभी अग्रिम कार्रवाई की जाए। नगर निगम नगर पालिका तथा नगर पंचायत ग्राम पंचायत आदि के भूमि संबंधी विवादों के मामलों में भी यही मापदंड अपनाया जाए। परिपत्र में या भी निर्देशित किया गया है कि यदि झगड़े की आशंका हो तो पुलिस निरोधात्मक कार्रवाई करें और संबंधित पक्षों को पाबंद कराएं। दोबारा विवाद होने की स्थिति में निर्धारित मुचलका जमा कराने के लिए भी पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया गया है।

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