सम्भल। क्यों मनाया जाता है सम्भल में नेजा मेला।
उवैस दानिश\सम्भल। हजारों वर्षों से चला आ रहा नेजा मेले का इतिहास जुल्म ज्यादती न सहने का सबक देता है। हम उस दौर में आपको ले चलते है जिस वक़्त सती प्रथा का प्रचलन था। महाराजा पृथ्वीराज चौहान की जब सम्भल राजधानी हुआ करता था। लोगों पर जुल्म ज्यादती हुआ करती थी उस समय सम्भल में हजरत शेख पचासे मियां रहमतुल्लाह अलैह का परिवार रहा करता था उनकी बेटी बहुत खूबसूरत थी पृथ्वीराज चौहान के बेटे का दिल हजरत शेख पचासे मियां की बेटी पर आ गया। पिता ने बेटी को सारा माजरा बताया तो बेटी ने कुछ वक्त लेने की बात कही और एक पैगाम अफगानिस्तान में सय्यद सालार मसूद गाजी रहमतुल्ला अलैह को भेजा। जिसमें उस समय हो रहे अत्याचार का खुलासा किया गया साथी ही मदद की ख्वाहिश जाहिर की।
सय्यद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह ने पैगाम पाकर आने का फैसला किया और सम्भल में हो रही जुल्म ज्यादती के खिलाफ आवाज बुलंद की। उन्होंने यहां पृथ्वीराज चौहान से जंग की और पराजित करते हुए सम्भल में हो रहे जुल्म ज़्यादती को खत्म किया। इस जंग में शहीद हुए उनके साथियों के आज भी मजार सम्भल में है जहाँ मेला लगाया जाता है। सम्भल के अंदर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है होली के बाद आने वाले मंगलवार को ढाल यानी झंडा लगाया जाता है और मेले का आगाज किया जाता है अगले मंगलवार को शाहबाजपुर सूरा नगला में हजरत भोले शाह भोले रहमतुल्लाह अलैह के मजार पर नेजा मेले का आयोजन किया जाता है अगले दिन नगर पालिका परिषद सम्भल परिसर में हजरत अहमद शाह रहमतुल्लाह अलैह के मजार पर नेज़े मेले का आयोजन किया जाता है। गुरुवार को हसनपुर रोड स्थित इमादुल मुल्क(बादल गुम्बद) पर नेज़े मेले का आयोजन किया जाता है। इन सब जगह चादर पोशी कर दुआएं की जाती है। इस बार तीन दिवसीय नेजा मेला 21,22 व 23 मार्च को आयोजित किया जाएगा।