मऊ। बंद पड़ी कताई मिल की जमीन पर औद्योगिक पार्क बनाने के लिए प्रशासन में बातचीत, सैकड़ों उद्योग लगेंगे, हज़ारों को रोज़गार।
रिपोर्ट- आसिफ रिजवी
मऊ। औद्योगिक इकाईयों की स्थापना हेतु इनकी मूलभूत आवश्यकता भूमि उपलब्ध कराये जाने की है। वर्तमान में प्रदेश स्थित औद्योगिक आस्थानों में शेड/भू-खण्डों की उपलब्धता कम है, जबकि प्रदेश के उद्यमियों द्वारा औद्योगिक आस्थानों में शेड/भू-खण्डों के आवंटन हेतु औद्योगिक पार्क/ औद्योगिक आस्थान/ क्लस्टर एरिया विकसित किये जाने की निरन्तर मांग की जा रही है। अतः प्रदेश में औद्योगिक पार्क/औद्योगिक आस्थान/क्लस्टर एरिया विकसित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
प्रदेश में कई ऐसी कताई मिलें हैं, जो बन्द पड़ी हैं एवं उनकी भूमि निष्प्रयोज्य दशा में है। यदि इन कताई मिलों की निष्प्रयोज्य पड़ी भूमि पर औद्योगिक आस्थान (एम0एस0एम0ई0 औद्योगिक पार्क) स्थापित किये जाये, तो जहाँ एक ओर इन निष्प्रयोज्य भूमि का सदुपयोग हो सकेगा, वहीं दूसरी ओर एम0एस0एम0ई0 इकाईयों को मूलभूत आवश्यकतानुसार भूमि भी सहजता से उपलब्ध हो सकेगी। अवगत कराना है कि जनपद बाराबंकी (69.86 एकड़), रायबरेली (58.66 एकड़), मऊनाथ भंजन (84.27 एकड़) में स्थित स्पिनिंग मिलों के पास क्रमशः 69.86 एकड़, 58.66 एकड़ तथा 84.27 एकड़ भूमि निष्प्रयोज्य है। इन तीन कताई मिलों के ऊपर लगभग रू0 351.63 करोड़ की देनदारियां हैं।
जनपद रायबरेली एवं मऊनाथ भंजन (जनपद मऊ) स्थित स्पिनिंग मिलों की भूमि पर एम0एस0एम0ई0 औद्योगिक पार्क का विकास सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग द्वारा यू0पी0एस0आई0सी0 के माध्यम से कराया जायेगा। जनपद बाराबंकी में स्थित स्पिनिंग मिल की भूमि का विकास औद्योगिक विकास विभाग द्वारा यूपीसीडा के माध्यम से IT/ITES आदि हेतु कराया जायेगा।
उपर्युक्त वर्णित स्थिति एवं प्रश्नगत प्रकरण में निहित देनदारियों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के माध्यम से उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कं0 लि0 को भुगतान किये जाने एवं इन मिलों पर शासकीय ऋण को माफ करके उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कं0 लि0 रायबरेली की 58.66 एकड़ एवं मऊनाथ भंजन (मऊ) की 84.27 एकड़ उपलब्ध निष्प्रयोज्य भूमि पर एम0एस0एम0ई0 औद्योगिक पार्क विकसित करने हेतु सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग को देने का निर्णय हुआ है एवं बाराबंकी की 69.86 एकड़ उपलब्ध निष्प्रयोज्य भूमि पर यूपीसीडा के माध्यम से IT/ITES आदि हेतु विकसित करने का कार्य औद्योगिक विकास विभाग द्वारा कराये जाने का आज मंत्रिपरिषद में निर्णय हुआ।