विशेष- देश राग
देश राग
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हंसने या रोने की कोई बात नहीं
ज्यादा खुश होने की कोई बात नहीं
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भाव बढ़े हैं तरल गैस के , मजबूरी
अब आपा खोने की कोई बात नहीं
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रोटी का संकट तो आता - जाता है
चांदी या सोने की कोई बात नहीं
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लोकतंत्र में दाग साग तो लगते हैं
बार - बार धोने की कोई बात नहीं
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राजनीति है परम सनातन चलने दो
जादू या टोने कोई बात नहीं
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नीलामी टूटेगी ऊपर बोली पर
धंधे में औने -पौने की कोई बात नहीं
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बातें मंदिर - मस्जिद की क्यों ठंडी हैं
देहरी, दरवाजे, कोने की कोई बात नहीं
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खेतों में, खलिहानों में पसरा सन्नाटा
बीज नये बोने की कोई बात नहीं
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