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    देवबंद। मदनी दारुल उलूम में हुआ वार्षिक समारोह,छात्रों की हुई दस्तारबंदी।

    शिबली इकबाल\देवबंद। जमीयत उलमा-ए-हिंद के जिलाध्यक्ष मौलाना हबीबुल्लाह मदनी ने कहा कि मदरसे इस्लाम के मजबूत किले हैं।यहां ऐसे लोगों की जमातें तैयार की जाती हैं जिनका मकसद दुनिया नहीं,बल्कि दीन (आखिरत) कमाना होता है बुधवार को देवबंद-गंगोह बाइपास स्थित मदनी दारुल उलूम में आयोजित वार्षिक समारोह में मौलाना हबीबुल्लाह मदनी ने कहा कि मदरसे कौम के नौनिहालों को शिक्षा देने के साथ ही उनको संस्कारवान बनाने का काम कर रहे हैं।यहां से तालीम हासिल करके जाने वाले छात्रों की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने आमाल से दीन की असल सूरत को दुनिया के सामने पेश करें।

    कार्यक्रम के उपरांत दुआ कराते मौलाना

    संस्था के मोहतमिम मौलाना अब्दुल हन्नान ने कहा कि जब तक मदरसे कायम रहेंगे तब तक इस्लाम पूरी तरह महफूज रहेगा।क्योंकि यहां दीन को पढ़ाने के साथ ही उसे जीवन में उतारने का तरीका भी सिखाया जाता है।कार्यक्रम में उलमा ने 12 छात्रों की दस्तारबंदी करते हुए उन्हें तालीम को रोशनी दूर-दूर तक फैलाने की नसीहत दी।शुरुआत दारुल उलूम के उस्ताद कारी शफीक की तिलावत-ए-कलाम पाक से हुआ।दुआ मदरसा संचालक कारी वलीउल्लाह ने कराई।इसमें मौलाना मुफ्ती अब्बास बागपती,मौलाना साजिद,कारी तुफैल,मौलाना अब्दुल सलाम,मुफ्ती हुसैन और मौलाना शकील आदि मौजूद रहे।

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