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    लखनऊ। यूपी महोत्सव में शारदेय प्रकाशन के तत्वावधान में उपन्यास "सुगंधा"पर एक परिचर्चा का हुआ आयोजन।

    लखनऊ। यूपी महोत्सव अलीगंज, लखनऊ में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में शारदेय प्रकाशन के तत्वावधान में अमिता मिश्रा मीतू के उपन्यास "सुगंधा"पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। 

    जिसमे डिप्टी डायरेक्टर कुमकुम शर्मा ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि "सुगंधा" जब पढ़ने के लिए बैठी तो छोड़ नहीं पाई जब शुरू किया तो शाम तक खत्म कर दिया। लगातार पढ़ती रही, कोई ऐसा घटनाक्रम जो लगातार चलता रहता है कि आप उसको छोड़ ही नहीं पाओगे। उसमे किस तरह से चीजे उलझती चली जाती है, जिसमे एक नायिका इतना संघर्ष करती है, इसमे खास यह है कि विरोध को भी इतनी शालीनता से दर्शाया गया है।

    साथ ही स्वेता त्रिपाठी ने कहा कि जब पुस्तक को पढ़ना शुरू किया तो पढ़ते- पढ़ते रात के 2:30 बज गया लेकिन किताब रखने का मन नहीं किया। पूरी पुस्तक पढ़ने के बाद मन विचलित हो गया आंखों से आंसू निकल पड़े। और महसूस किया कि सुगंधा को कितना संघर्ष करना पड़ा। लेकिन लास्ट में जो होता है कि सर्विस के सारे पेपर, पैसे सारी चीजे सुगंधा के हाथ आ जाता है उस टाइम हमें ऐसा महसूस होता है कि अब ये सारी चीजे मिली सुंगंधा को अब इसका क्या मतलब रहा जीवन में, जब सारा समय निकल गया, सारा जीवन निकल गया। "सुगंधा" एक ऐसी कहानी जो सच मे उसके संघर्षो को पढ़ कर रोना आ गया और लिखा कि - 

    नित जीवन के संघर्षो से, 

    सुख के मिले समंदर का रह जाता कोई मोल नहीं। । 

    कार्यक्रम की अध्यक्षता सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की डिप्टी डायरेक्टर कुमकुम शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में विनीता मिश्रा और विजयलक्ष्मी सिंह जी ने मंच की शोभा बढ़ाई। मुख्य वक्ता के रूप में अलका प्रमोद ने उपन्यास के कथानक पर प्रकाश डाला और कुशल संचालन निवेदिता श्री ने किया। इस अवसर पर स्वेता द्विवेदी , संजीव मिश्रा, सयुंकता मिश्रा, महेंद्र भीष्म आदि लोग उपस्थित रहे। 

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