अयोध्या। जनपद में दो चीनी मिल मसौधा व रौजागांव शुगर मिल गन्ना की पर्ची न मिलने से किसान परेशान।
.... पेड़ी गन्ना खेत मे खड़ा होने से गेंहू की बुवाई हो रही प्रभावित
देव बक्स वर्मा\अयोध्या। किसान चारों तरफ से शोषण का शिकार हो रहा है! कभी ईश्वरीय शक्ति से, मौसम की मार से, कभी छुट्टा जानवरों की मार से, कभी शासन प्रशासन की नीति से तो कभी चीनी मिल और सोसाइटी की मार से परेशान रहता है! गन्ने की फसल को बोने से लेकर कट कर बेचने और उसका भुगतान लेने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गन्ना बोने में इतनी लागत आती है कि किसान की कमर टूट जाती है! मजदूर ना मिलने से गन्ने की गुड़ाई, गन्ने की कटाई, गन्ने की लोडिंग और और ढुलाई सब महंगे रेट पर कराना पड़ता है! उसके बावजूद किसानों को गन्ना बेचने पर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है! कभी पर्ची के लिए समस्या तो कभी भुगतान के लिए समस्या होती रहती है! गन्ना बोने के बाद जानवरों से भी बचाना आसान नहीं है और कहीं कुदरत का कहर आ आ गया तो एक समस्या और हो जाती है! आजकल जाड़े के मौसम में किसान जिस तरह से खुले आसमान के नीचे अपना गन्ना बेचने के लिए मील में गुजर करता है या किसी से छुपा नहीं है! जनपद में के. एम. शुगर मिल मसौधा, व रोजा गांव चीनी मिल है फिर भी किसान अपना गन्ना बेचने के लिए पर्ची के लिए परेशान हैं! किसान गन्ना बेचकर पेडी के खेत में गेहूं बोना चाह रहा है किंतु नवंबर माह से लेकर जनवरी माह आ गया पेड़ी पर्ची के लिए भी परेशान है! किसानों का आरोप है कि दलालों का बोलबाला है और बाहर से मिलें गन्ना मंगाती हैं! अपने क्षेत्र के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है,! किसानों को गन्ने की पर्ची ना मिलने से गेहूं की बुवाई प्रभावित हो रही है किसान जनवरी माह में भी गेहूं बुवाई नहीं कर सकेंगे। जनवरी में किसानो का पेड़ी गन्ना समाप्त हो जाना चाहिए लेकिन अब तक किसानों को पेडी गन्ने की पर्ची नहीं मिल सकी और कैलेंडर आगे नहीं बढ़ रहा है। एक कॉलम बढ़ने में तीन से चार दिन लग जाते हैं एक पक्ष में 15 कॉलम होते हैं इसके अनुसार कब तक चलेगा कैलेंडर।
शुगर मिल द्दारा मिल गेट एरिया की खरीदारी कम की जा रही है सेंटर व बाहर का गन्ना ज्यादा मात्रा में खरीद किया जा रहा है जिससे मिलगेट एरिया के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है की गन्ने की नई नीति काले कानून की तरह लागू है जो अब तक पेड़ी गन्ना का मिल पराई नहीं कर सकी है और किसानों का शोषण पूरी तरह से किया जा रहा है। मिल द्दारा किसानों का उत्पीड़न कभी सूखा गन्ना बताकर तो कभी पत्ती व कभी जड़ बताकर गन्ना ट्राली की तौल करने में भी परेशान किया जाता है। किसानों की इस जटिल समस्या को न तो गन्ना विभाग सुन रहा है और न सहकारी गन्ना विकास समिति के सचिव द्दारा कोई सुनवाई की जा रही है।फिर भी विभाग की आंखें नहीं खुल रही है आए दिन गन्ना किसानों व मिल के कर्मचारियों से मारपीट की नौबत आती रहती है। जिसे पुलिस द्दारा हस्तक्षेप करके रोका जाता है। मिल के अधिकारी से मिली भगत होने के कारण किसानों के हित की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिससे क्षेत्र का किसान काफी परेशान है।किसानों की पीड़ा सुनने वाला कोई नही है किसान अपनी पीड़ा किसे सुनाए। खेत मे खड़ी पेड़ी गन्ने की फसल को लेकर किसान काफी चिंतित व परेशान हैं। गन्ने की फसल खेत से कैसे खाली हो जिससे गेहूं बुवाई कर सकें किसानों को खाने के लिए गेहूं व अपने जानवर के लिए भूसे की बहुत ही आवश्यकता होती है। किसान अपना गन्ना दलाल व माफियाओं के हाथ बेचने को मजबूर हैं।वहीं क्षेत्र के लोगों का कहना है की इन दलालों व गन्ना माफियाओं की पर्ची कहां से निकलकर आ रही हैं जिससे क्षेत्र में धड़ल्ले से गन्ना की खरीदारी करके किसानों का पूरी तरह से शोषण किया जा रहा है लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है।