हरदोई। एक के साथ हुई चार-चार ज़िंदगी बर्बाद, प्रेमिका के साथ आत्महत्या करने वाले प्रेमी के बच्चों की कैसे कटेगी ज़िंदगी?
......... रामरानी के सामने बच्चों की परवरिश का खड़ा हुआ सबसे अहम सवाल
हरदोई। तीन-तीन बच्चों के बाप के सिर पर आशिक़ी का ऐसा भूत सवार हुआ कि उसने खुद की ज़िंदगी तमाम कर ली और पत्नी के अलावा बच्चों की ज़िंदगी को दांव पर लगा दिया। कहने वाले तो यही कह रहें हैं कि एक के साथ चार-चार ज़िंदगियां बर्बाद हो गई। उन मासूम बच्चों की परवरिश का सारा ज़िम्मा अब उसकी मां जोकि सुहाग उजड़ने के बाद ज़िंदा लाश बन गई है,के कांधों पर आ गया। वहीं किसी तरह अपना पेट काट-काट कर बच्चों के लिए दो जून की रोटी जुटाने के लिए या तो किसी की बेगारी करेगी या फिर मज़दूरी।
बताते चलें कि मंगलवार को टड़ियावां थाने के खेरवा दलौली निवासी श्याम प्रकाश और उसकी प्रेमिका के शव गांव के किनारे स्कूल के बगल में गन्ने के खेत में खड़े हुए पेड़ से लटके हुए पाए गए थे। दोनों के बीच दो साल से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। एक दिन पहले दोनों को एक साथ देख लिया गया था।इसी के चलते दोनों ने इस तरह आत्महत्या कर ली। श्याम प्रकाश की पत्नी रामरानी ने रोते हुए बताया कि उसके पिता बीमार चल रहे थे।वह उन्हीं को देखने अपने मायके उमन्नी बजेहरा गई हुई थी। मंगलवार को जब उसे इस बात का पता चला तो वह ससुराल पहुंची। श्याम प्रकाश के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनमें 5 वर्षीय बेटी उपासना, 3 वर्षीय बेटा कार्तिक और डेढ़ वर्षीय दूसरा बेटा सनी है। श्याम प्रकाश के पास इतना भी कुछ नहीं है, जिससे उसके बच्चों की सही तरीके से परवरिश हो सके। रामरानी ने बताया है कि बच्चों की परवरिश उसके लिए सबसे अहम सवाल है। चाहे किसी की बेगारी करे या फिर मज़दूरी,कैसे भी हो उसे अपने बच्चों के लिए दो जून की रोटी तो जुटानी ही पड़ेगी। लोगों का कहना है कि श्याम प्रकाश ने तो अपनी ज़िंदगी तमाम कर दी, लेकिन उसके साथ चार-चार ज़िंदगी बर्बाद भी कर दी। सुहाग उजड़ने के बाद से रामरानी खुद ही एक ज़िंदा लाश बन गई है। उसकी आंखों से आंसू बराबर टपक रहे हैं।
- इस छोर और उस छोर दफन किए गए दोनों के शव
हरदोई। खेरवा दलौली में आत्महत्या करने वाले प्रेमी युगल के शवों का बुधवार को पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने दोनों के शवों को उनके घर वालों के सुपुर्द कर दिया। प्रेमी का शव गांव के एक छोर पर दफन किया गया और उसकी प्रेमिका का शव दूसरे छोर पर दफनाया गया। इस दौरान तमाशबीनों की भीड़ में आस-पड़ोस के गांवों के लोग भी शामिल रहे।