अयोध्याधाम। हिंदू धर्म के उद्धारक के रूप मे सदैव पूजित रहेंगे स्वामी रामानंदाचार्य-कमलनयन दास
.......... जगदगुरू श्री रामानंदाचार्य की 723वीं जयंती पर मणि रामदास छावनी से निकाली गई विशाल शोभायात्रा
अयोध्याधाम। जगदगुरू श्री रामानंदाचार्य की 723वीं जयंती पर मणि रामदास छावनी से विशाल शोभायात्रा निकाली गई। मंदिर के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री ने कहा कि आचार्य का संपूर्ण जीवन समाज, राष्ट्र और धर्म के उत्थान के लिए समर्पित रहा। वह हिंदू धर्म के उद्धारक के रूप मे सदैव पूजित रहेंगे। कमलनयन दास ने तत्कालीन समाज में विभिन्न मत-पंथ संप्रदायों में घोर वैमनस्यता और कटुता को दूर कर हिंदू समाज को एक सूत्र बद्धता का महनीय कार्य किया। उन्होंने कहा स्वामी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को आदर्श मानकर सरल राम भक्ति मार्ग का संचालन किया। जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज हिन्दू धर्म, दर्शन, साहित्य और संस्कृति के विकास के साथ ही वैष्णव भक्ति से संबद्ध वैचारिक क्रांति के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने वैष्णव भक्ति के महान संतों की उसी श्रेष्ठ परंपरा को जीवंत करते हुए विशिष्टाद्वैत (राममय जगत की भावधारा) सिद्धांत और राम भक्ति की धारा को मध्यकाल में अनुपम तीव्रता प्रदान करते हुए श्रीरामानंद सम्प्रदाय को स्थापित किया।
कमलनयन दास ने कहा कि आचार्य रामानंदाचार्य जी के बारे में प्रसिद्ध है कि तारक राम मंत्र का उपदेश उन्होंने पेड़ पर चढ़कर दिया था, ताकि वह सब जाति के लोगों के कानों में पड़े और अधिक से अधिक लोगों का कल्याण हो सके। उन्होंने जयघोष किया, जाति-पाति पूछे न कोई। हरि को भजै सो हरि का होई। कमलनयन दास ने कहा कि भगवान की शरणागति का मार्ग सबके लिए समान रूप से खुला है। आचार्य रामानंदाचार्य जी ने किसी भी जाति-वरण के व्यक्ति को राम मंत्र देने में संकोच नहीं किया। रैदास और जुलाहे के घर पले-बढ़े कबीर दास इसके अनुपम उदाहरण हैं।
यात्रा मणिराम दास छावनी से चलकर हनुमान गढी, नक भवन, अशर्फी भवन चौराहा, पोस्ट ऑफिस, नयाघाट होते हुए दोबारा मणिराम दास जी की छावनी पर पहुंच कर समाप्त हुई। मार्ग में पड़ने वाले मठ मंदिरों पर रथ की आरती उतारी गई। यात्रा में दिगंबर अखाड़ा महंत सुरेश दास, मणिराम दास छावनी ट्रस्ट के सचिव कृपालु रामदास 'पंजाबी बाबा, रामायणी राममंगल दास, कमला दास, प्रसिद्ध भागवताचार्य राधेश्याम शास्त्री, विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा, अवधेश दास शास्त्री, आनंद शास्त्री, परमात्मा दास, संत दिवाकराचार्य, विमल दास, संत भगवान दास, संत शियाराम दास, संत बृजमोहन दास, महंत तुलसी दास, चंद्रशेखर झा, राजीव केसरवानी, दीपक शास्त्री आदि शामिल हुए।