विशेष गीत : ख्वाहिश
ख्वाहिश
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सब कुछ ढांक सके,ऐसा चादर दे दे
गांव में था जैसा,वैसा ही दर दे दे
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इष्टमित्र तो भरे पड़े हैं दुनिया में
ईश्वर जैसा एक अदद फादर दे दे
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मुंबई पर तो मेहरबानियां बरसा दीं
दिल्ली कै भी ठीकठाक दादर दे दे
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एक पसेरी नाज बहुत कम लगता है
धक्कों के बदले थोड़ा आदर दे दे
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मिट्टी की काया से काम चला लूंगा
कम से कम दिल तो मुझको कादर दे दे
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कभी नहीं मांगूंगा जन्नत वादा है
एक जन्म धरती पर फिर सादर दे दे
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@ राकेश अचल