हरदोई। स्वामी विवेकानंद 19 वीं शताब्दी के सबसे महान महापुरुष थे:- कृष्ण मोहन
हरदोई। शिव सत्संग मंडल तथा सामजिक समरसता जिला हरदोई द्वारा आश्रम हुसैनापुर धौकल में आयोजित स्वामीविवेकानंद जयंती व मूर्ति अनावरण कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रान्त संघ चालक कृष्ण मोहन के द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना के उपरांत स्वामी जी की मूर्ति अनावरित कर प्रारम्भ हुआ तत्पश्चात दीप प्रज्वलित कर सामूहिक ईश प्रार्थना कर सभी के मंगल की कामना की गई। बौद्धिक श्रंखला का प्रारम्भ शाहजहाँपुर से आये रवि वर्मा के संचालन में जिला सह समरसता प्रमुख नीरज श्रीवास्तव के उद्बोधन से हुआ।
इसी क्रम में व्यवस्थापक यमुनाप्रसाद, शिक्षक प्रेम कुमार, योग प्रशिक्षक मोहित, रजनीश सक्सेना, डॉक्टर रविलाल, योग प्रशिक्षक कुलदीप गुप्ता ने स्वामी विवेकानंद जी पर अपने विचार रखे। इनके उपरांत संस्थाध्यक्ष आचार्य अशोक ने स्वामी जी के जीवन से जुड़ी तमाम घटनाओ से हमे परिचित करवाया व समाज मे फैली एक सांस्कृतिक व मानसिक गुलामी से मुक्त होने के लिये प्रेरित किया
उन्होनें हमे बताया कि अपने जीवन का उत्थान हमे अपने ऋषियों महत्माओ व विद्वतजनो के अनुसरण से ही सम्भव है व अपने जीवन के उत्थान के लिये हमे ध्यान को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा। उन्होने कहा कि हमे स्वयं को संसार के तमाम निरीह व कष्टो से ग्रस्त प्राणियो के दुख दर्दो मे उनका हित करे।मध्य में योग प्रशिक्षक सत्यम सक्सेना, माही सिंह, अभिनव सिंह, रोहित वर्मा जी ने गीत व भजन के माध्यम से कार्यक्रम की शोभा को बढ़ाया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृष्ण मोहन ने अपने वक्तव्य के माध्यम से आचार्य अशोक जी व सभी सत्संगी बंधुओ व कार्यक्रम मे उपस्थित सभी स्वयंसेवकों का सफलतम कार्यक्रम की शुभकामनाये प्रेषित की।कहा कि भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। स्वामी जी भारत में 19वीं शताब्दी के सबसे महान महापुरुष थे और युवाओं की शक्ति में दृढ़ विश्वास रखते थे। युवा मन नई उमंगों, नये उत्साह, नई कल्पनाओं और नये विचारों से परिपूर्ण होता है। यह अवस्था उसके सपने बुनने और उन्हें साकार करने के लिए मार्ग तय करने की होती है। यही वह समय होता है जिसमें उसका भविष्य निर्धारण होता है और ऐसे समय किसी भी प्रकार की चूक उसके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देती है। लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति दृढ़ संकल्प, लगन और सतत प्रयास की आवश्यकता होती है। जरूरत केवल अपनी प्रतिभा और अपनी सृजनात्मक क्षमता का सही दिशा में सही तरीके से उपयोग करने की होती है।
कहा कि हमे स्वामी जी के आदर्शो को अपने जीवन मे आत्मसात करना होगा तभी हमारा यह भारत देश पुनः विश्व गुरु की भाँति इस सम्पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन प्रदान करने मे सक्षम हो सकेगा। उन्होने स्वामी जी के जीवन की उन तमाम प्रेरणा प्रद घटनाओ के माध्यम से हमे उनके नैतिक आचरण के हमे दर्शन करवाये व हिन्दू समाज को इसी तरह एकजुट रहने के लिये प्रेरित किया
उन्होने आद्य सरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार, माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर गुरु जी व संघ के उन तमाम विचारको का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि कैसे यह गुलामी से जकड़ी हुई भारत भूमि को इन विचारको व प्रचारको ने मुक्त कराया व इस समाज को एक नई दिशा मे कार्य करने को प्रेरित किया।सुख, समृद्धि, मानवता, दया क्षमा, सहयोग व सहायता को निस्वार्थ अपनाना हिंदुत्व है। जीवन को धन्य बनाने वाले इन सभी तत्वों का विस्तृत ज्ञान वेदों में उपलब्ध है। इसलिए ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ भंडार वेदों में है।
उन्होनें कहा कि आज शिव सत्संग मंडल के आचार्य अशोक उन्हीं आदर्शो को आत्मसात कर सन्त परम्परा को आगे बढ़ाने मे संघर्षरत हैं। इसी क्रम में खण्ड संघचालक संजय मोदी ने स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डाला और ध्यान के माध्यम से अपने जीवन स्तर को उच्च करने के लिये प्रेरित किया। बौद्धिक श्रंखला के उपरांत अनुराग श्रीवास्तव, योगेन्द्र यादव , शिक्षक नेता प्रभाकर बाजपेयी व उनके साथ पधारे उनके युवा साथियों ने प्रांत संघ चालक कृष्ण मोहन , खण्ड संघ चालक संजय मोदी , नगर संघ चालक डॉक्टर विक्रम सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में सहयोगी रहे सत्संगी देव सिंह, रामकुमार, कुलदीप, प्रदीप, राम निवास, मोहित, रोहित, शोभित, सुनील गुप्ता, स्वामीदयाल, रामलखन, रेशमा रमाकान्त, भैयालाल आदि रहे। कार्यक्रम में पधारे स्वयंसेवक बंधुओं में अपने नगर कार्यवाह अनूप गुप्ता, नगर विद्यार्थी विस्तारक ध्यान वर्धन , सुवीन , विशाल , देवेश , कुलदीप गुप्त, सुनील गुप्ता, रमाकांत मौर्य, महावीर सिंह आदि स्वयंसेवक बंधु उपस्थित रहे।