श्रावस्ती: जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गोवंशों को ठंड से बचाव हेतु नोडल अधिकारियों के साथ बैठक सम्पन्न
---गो आश्रय स्थलों में गोवंशो को ठंड से बचाव हेतु की जाए पर्याप्त व्यवस्था-जिलाधिकारी
श्रावस्ती: जिलाधिकारी नेहा प्रकाश की अध्यक्षता में गोवंशों को ठंड से बचाव हेतु नोडल अधिकारियों के साथ विकास भवन सभागार में बैठक की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि गो-आश्रय स्थलों में रह रहे गोवंशों को ठंड से बचाव हेतु मुकम्मल आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए, ताकि गोवंशों को कोई दिक्कत न होने पावे।
उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बेसहारा गोवंशो को गोद लेने के लिए ’’यूपी बेसहारा गोवंश सहभागिता’’ योजना शुरू की है। इस योजना के तहत आवारा पशुओं को गोशालाओं से गोद लेने पर रूपये 900/ प्रति माह प्रोत्साहन के रूप में राशि प्रदान की जाएगी। इसलिए सभी जनपदवासी सरकार की इस योजना का लाभ उठायें, और गोवंशों को गोद लेने में अपनी सहभागिता निभायें और उनका भरण-पोषण कर लाभ अर्जित करें और पुण्य भी कमायें।
बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि निराश्रित/बेसहारा गोवंशों के संरक्षण एवं भरण-पोषण सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। वर्तमान में शीत ऋतु (ठंड) के दृष्टिगत गोवंश को ठंड से बचाव हेतु पर्याप्त उपाय किया जाना नितान्त आवश्यक है।
इसके लिए जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया कि निराश्रित गोवंशों को ठंड से बचाने हेतु पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार जिसमें प्रचुर मात्रा में कार्बाेहाइड्रेट उपलब्ध हो एवं स्वच्छ ताजा पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। गोवंश को ठंड से बचाव हेतु आश्रय स्थलों में शीत लहर के प्रभाव को रोकने की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के लिए त्रिपाल, बोरा, पराली इत्यादि का प्रयोग किया जाए। वृद्ध, अशक्त व नवजात गोवंश पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसके लिए विशेष व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए।
उन्होने यह भी निर्देश दिया कि शीत ऋतु में ठंड से गोवंश को बचाने हेतु समुचित प्रबन्धन कराये जाने के लिए प्रत्येक गो आश्रय स्थल पर निरन्तर प्रभावी निगरानी कराते हुए गोवंश को ठंड से बचाव के लिए शेड को विधिवत कवर कराया जाये एवं गोवंश हेतु जूट के बोरे के झूल का उपयोग किया जाये। आवश्यकता पड़ने पर जनपद स्तर पर विभिन्न संस्थाओं के पास उपलब्ध अनुपयोगी बोरों/टाट आदि को गो आश्रय स्थलों को उपलब्ध कराकर प्रयोग में लिया जाये।
गो आश्रय स्थलों में बिछावन हेतु पराली/लकड़ी बुरादा, गन्ने की खुई आदि का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी स्थिति में रात्रि के समय गोवंश खुले स्थान पर न रहें और दिन में गोवंश को पर्याप्त धूप में रखा जाए। आश्रय स्थलों की समुचित साफ-सफाई सुनिश्चित करायी जाए।
उन्होने यह भी निर्देश दिया कि आश्रय स्थलों में गोबर, गोमूत्र, आदि की निकासी की समुचित व्यवस्था की जाए, और समय-समय पर बिछावन को भी बदला जाए। गो आश्रय स्थलों पर पर्याप्त मात्रा में भूसा/पराली, हरा चारा, दाना, गुड़ इत्यादि के साथ-साथ पीने हेतु स्वच्छ/ताजे पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाए। यथावश्यकता अलाव की भी व्यवस्था की जाए, ताकि शीत ऋतु में गोवंश के स्वास्थ्य को बनाये रखने के साथ-साथ ठंड से होने वाली किसी भी हानि को रोका जा सके।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अनुभव सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी ए0पी0 यादव, उपजिलाधिकारी भिनगा प्रवेन्द्र कुमार, उपजिलाधिकारी इकौना रोहित, उपजिलाधिकारी जमुनहा सौरभ शुक्ला, पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशिक्षु सतीश चन्द्र शर्मा, जिला विकास अधिकारी रामसमुझ, परियोजना निदेशक इन्द्रपाल सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 विनोद कुमार, डी0सी0एन0आर0एल0एम0, जिला पंचायत राज अधिकारी आनन्द प्रकाश, जिला विद्यालय निरीक्षक सन्त प्रकाश सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
सर्वजीत सिंह
Initiate News Agency (INA), श्रावस्ती