अयोध्या! अयोध्या में है भगवान श्रीराम की कुलदेवी का मंदिर, भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं
अयोध्या! मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की धर्म नगरी अयोध्या में बड़ी देवकाली पर स्थित भगवान श्री राम के कुलदेवी का मंदिर स्थित है! जहां पर महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती की प्रतिमा स्थापित है ! और ठीक सामने भगवान राम का मंदिर है! देव काली माता के मंदिर के बगल में गणेश जी! उसके बगल माता लक्ष्मी और विष्णु जी, फिर उसके बगल हनुमान जी, शंकर जी का मंदिर, शनि देवता का मंदिर, गौरी माता का मंदिर, भैरव बाबा का मंदिर आदि स्थापित है! एक बहुत ही रमणीय स्थल है! बड़ा सा पक्का सरोवर है और वहीं पर बगल में सती माता और शंकर जी का भी मंदिर मौजूद है!
जैसा कि धर्म नगरी अयोध्या में गंगा जमुनी तहजीब पर सभी धर्म के लोग रहते हैं और आपस में भाईचारा बनाए रखते हैं! मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, जैन मंदिर आदि तमाम धर्म के हैं किंतु जब अयोध्या में राम मंदिर, हनुमान मंदिर, कनक भवन मंदिर, नागेश्वर नाथ मंदिर आज की चर्चा होती है तो बड़ी माता देवकाली का नाम भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है जो भगवान श्रीराम की कुलदेवी है!
अयोध्या नगरी सरयू के तट पर बसा है और अयोध्या आने वाले सबसे पहले मां सरयू की सलील धारा में स्नान करने के उपरांत मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं और अपनी मुराद पूरी कराने के लिए भगवान से माता जी से प्रार्थना करते हैं! अयोध्या में हनुमानगढ़ी पर मंगलवार व शनिवार को ज्यादा भीड़ होती है राम जी के दरबार में रोजाना भीड़ होती है नागेश्वरनाथ पर सोमवार के दिन पूर्णिमा और अमावस्या को जल चढ़ाने वालों का तांता लग जाता है वहीं पर मां देवकाली के मंदिर में सोमवार और शुक्रवार को मंदिर पर काफी भीड़ होती है वैसे भी साल भर दर्शन करने वाले माता के मंदिर में आते जाते रहते हैं! देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
हर मंदिर की अलग मान्यता और अपना इतिहास है। रामनगरी अयोध्या में भी देवकाली मां का भव्य स्थान है, जिन्हें पुरुषोत्तम श्रीराम की कुलदेवी होने का गौरव प्राप्त है। वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्र का अपना विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां देवकाली के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता। भगवान राम की आराध्य देवी बड़ी देवकाली अपने भक्तों की हर मुरादें पूरी करती हैं।
देवी भागवत में बड़ी देवकाली का वर्णन है, जिन्हें भगवान श्रीराम की कुलदेवी कहा गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां देवकाली मंदिर को भगवान श्रीरामचन्द्र के पूर्वज महाराज रघु ने बनवाया था। बताया जाता है कि जब श्री रामचन्द्र जी का जन्म हुआ था, उस समय राम की मां कौशल्या पूरे परिवार के साथ बड़ी देवकाली मां के दर्शन करने आई थीं। तभी से इस मंदिर से जुड़ी परंपरा चली आ रही है कि जब भी किसी के घर में बच्चा होता है तो उसे परिवार के साथ मां बड़ी देवकाली के दर्शन को लाया जाता है। मां के दर्शन के बाद ही बालक के मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
तीन महाशक्तियों का संगम
बड़ी देवकाली का पूरा मन्दिर संगमरमर का बना हुआ है। गर्भगृह में माता की मूर्ति स्थापित है, जो तीन महाशक्तियों का संगम है। महालक्ष्मी, महाकाली एवं महासरस्वती की प्रतिमा तीनों एक साथ ही विराजित हैं, जो अपने आप में अद्भुत एवं अलौकिक दृश्य है। कहा जाता है कि ऐसी दिव्य प्रतिमा कहीं और नहीं है। मन्दिर का गर्भगृह गोलाकार है और इसकी छत पर गुम्बद बना हुआ है, जिस पर माता का लाल ध्वज फहराता है। बड़ी देवकाली मन्दिर के परिसर के अन्दर एक बहुत बड़ा कुंड है, जो रमणीय एवं दर्शनीय है।
मंदिर के बाहर मां शक्ति के वाहन दो सिंह विराजमान हैं। उनका मुंह देवी मां की तरफ है। मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि मां आदि शक्ति का वाहन सिंह शक्ति का प्रतीक और भय को समाप्त करने वाला है। महाराज रघु की कुलदेवी व श्रीराम की आराध्य बड़ी देवकाली जी के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता, यहां मांगी गयीं सभी मुरादें पूरी होती हैं। भक्तवर्ष में पड़ने वाले दो नवरात्रों में मां बड़ी देवकाली जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि चैत्र रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था।
इसदिन भक्त अपने पापों के प्रायश्चित और पुण्य की प्राप्ति के लिए रघुकुल की कुलदेवी बड़ी देवकाली की आराधना करते हैं। नवरात्र में सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां बड़ी देवकाली की विशेष तरह से पूजा की जाती है। बाहर से आने वाले जब अयोध्या भगवान राम का और हनुमान जी का दर्शन करने के लिए आते हैं तो देवकाली मंदिर पर भी आकर माथा टेकते हैं और माता से अपनी मुराद पूरी होने के लिए प्रार्थना करते हैं!
देव बक्श वर्मा
Initiate News Agency (INA), अयोध्या