कासगंज: अपनी ही बुने जाल में फंस गई कासगंज पुलिस, घटनास्थल पर मिला तमंचा बन गया गले की फ़ांस।
--दरोगा जी को बचाने के चक्कर में लपेटे में आए तत्कालीन एएसपी,अभी खुलेंगी और परतें।
कासगंज: पत्रकार अतुल यादव प्रकरण में अब पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है, भारतीय प्रेस परिषद ने तत्कालीन एसपी रोहन बोत्रे समेत तत्कालीन एएसपी और तीन अन्य को नोटिस जारी किया है।
तत्कालीन एसपी रोहन बोत्रे से भारतीय प्रेस परिषद ने तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं, साथ ही अन्य पुलिस अधिकारियों के लिए उत्तर देने की समय सीमा को निर्धारित किया गया है।
बताते चलें कि पटियाली थाना क्षेत्र के गांव नगला केसरी के रहने वाले अतुल यादव जिले में टीवी पत्रकार हैं, अतुल के आरोपों के मुताबिक उन्होंने ग्राम पंचायत नौरी डिलौरी के ग्राम प्रधान बलबीर सिंह के खिलाफ एक खबर अपने टीवी चैनल पर प्रसारित की थी, जिसके बाद पटियाली कोतवाली में आरोपी ग्राम प्रधान व उसके भाई प्रेमवीर समेत 6 नामजद व दस अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
अपने ऊपर हुए मुकद्दमें से बौखलाए ग्राम प्रधान ने साजिश के तहत अपने गुर्गों से पत्रकार अतुल यादव के परिजनों पर हमला करवाया, और बाद में दर्ज मुकद्दमों में समझौते का दवाब बनाया और फर्जी मुकद्दमों में फंसाने की धमकी दी।
आरोप है कि जब पीड़ित ने समझौता नहीं किया तो 10 जुलाई को थाना पटियाली मैं दर्ज एक मुकद्दमें में उनकी रंजिशन झूठी नामजदगी दर्ज करवा दी गई, और जेल भेज दिया गया।
इस दौरान अतुल ने मामले की शिकायत राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और डीजीपी यूपी से कर दी थी, जिसके बाद डीजीपी यूपी ने तत्कालीन एसपी रोहन बोत्रे से विस्तृत रिपोर्ट मांगी तथा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के आदेश पर डीआईजी अलीगढ़ ने तत्कालीन एएसपी अनिल कुमार सिंह से रिपोर्ट तलब की ।
तत्कालीन एएसपी अनिल कुमार सिंह ने अपनी जांच आख्या राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजी , जिसमें पत्रकार के परिजनों पर हुए हमले के दौरान घटनास्थल पर मिले तमंचे ने कासगंज पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए।
जांच रिपोर्ट में पटियाली थाने पर तैनात रहे तत्कालीन विवेचक दरोगा शरद यादव और एफआईआर लिखने वाले सिपाही होशियार सिंह के बयानों में विरोधाभास मिला, साथ ही बाद में मामले के जांचकर्ता इंस्पेक्टर कमलेश कुमार ने अपनी जांच में तमंचे को घटनाक्रम से बिल्कुल गायब कर दिया।
इसके साथ ही पीड़ित को गिरफ्तार करने वाले तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अनूप भारती ने अपनी कागजी कार्रवाई में पीड़ित को उसके गांव से गिरफ्तार करना बताया, जबकि पीड़ित यह साबित करने मैं सफल रहा कि उसे उसके घर से नहीं बल्कि पटियाली कस्बे से गिरफ्तार किया गया था।
जेल से रिहा होने के बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत भारतीय प्रेस परिषद मैं की, जिसके बाद अब भारतीय प्रेस परिषद ने आरोपित पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अतुल यादव
Initiate News Agency (INA)