मेरठ। कोरोना काल में पिता -पत्नी को खोने के बाद टीचर ने बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर, मंडल के छह जिलों में स्कूल को बनाया टॉप मॉडल स्कूल।
मेरठ। सरकारी स्कूल की व्यथा किसी से नहीं छिपी नहीं है। लेकिन माछरा के सरकारी स्कूल के टीचर ने स्कूल की तस्वीर को बिल्कुल उलट कर रख दिया है। कोरोना काल में अपनी पत्नि व पिता को खोने के बाद स्कूल को ही अपनी धरोहर मानते हुए टीचर ने जो कार्य किया है। वह स्कूल मंडल के टॉप स्कूल में गिनती हो रही है।
हम बात कर रहे है माछरा ब्लॉक के उच्च प्राथमिक स्कूल की। जहां पर अजय कुमार कुमार नाम को शिक्षक तैनात है। कोरोना काल में उसने अपने पिता डा राजेन्द्र सिंह , पत्नि रूचि को कोरोना काल दूसरी लहर में खो दिया। पिता -पत्नि की मौत के बाद अजय कुमार ने स्कूल और यहां पढ़ने वाले बच्चों को ही अपना सब कुछ मान लिया। अब वह सुबह से शाम तक का अपना सारा समय स्कूल को ही दे रहे हैं। स्कूल की दशा को सुधारने के लिए वह खुद के पैसे भी खर्च कर रहे हैं। साथ ही हर महीने माली की सैलरी भी अपनी जेब से देते हैं। यही वजह है कि कक्षा एक से 8वीं तक का यह स्कूल आज मेरठ मंडल के 6 जिलों में टॉप पर है और आदर्श स्कूल बन गया है।
अजय कुमार बहलोलपुर गांव के रहने वाले हैं। वह 2011 से बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर हैं। इससे पहले वह मेरठ के गोविंदपुर स्कूल में टीचर रहे हैं। वहां उन्होंने निजी पैसे से उस स्कूल में भी कई काम कराए। करीब पौने तीन साल पहले उनकी अपने गांव के स्कूल में पोस्टिंग हुई।उन्होंने बताया कि बच्चे अनमोल धरोहर हैं। आज स्कूल में 206 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। प्रयास है कि प्राइवेट स्कूल से हमारा स्कूल किसी भी हालत में पीछे न रहने पाए।
टीचर अजय कुमार ने लंबे समय तक शादी नहीं की। उनके पिता डॉ. राजेंद्र सिंह प्राइवेट डॉक्टर थे। पिता लगातार उन पर शादी का दबाव बनाने लगे। मगर, वह हर बार कह देते कि जल्दी ही कर लूंगा। 2020 में अजय कुमार की शादी फिरोजाबाद निवासी टीचर रुचि (33) से हुई। रुचि फिरोजाबाद में सरकारी स्कूल में टीचर थीं। 2021 में जब प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए, तो कोरोना की दूसरी लहर में रुचि भी कोरोना पॉजिटिव हो गईं। पत्नी को बचाने के लिए अजय ने कोशिश की, लेकिन वह बच नहीं पाईं। शादी के 5 महीने बाद ही 27 अप्रैल को रुचि की कोरोना से मौत हो गई।अजय अपनी पत्नी की मौत से उबर भी नहीं पाए थे कि उनके पिता डॉ. राजेंद्र सिंह का भी 29 मई, 2021 को निधन हो गया। उस समय यह स्थिति थी कि इलाज के लिए अस्पतालों में जगह तक नहीं थी। एक महीने 32 दिन में एक ही परिवार में दो मौतों ने अजय को पूरी तरह से तोड़ दिया।
- मेरे लिए छात्र अनमोल धरोहर
अजय अपनी पत्नी और पिता की मौत के बारे में बताते हुए काफी भावुक हो गए। वह बताते हैं, श्श्मेरा यह स्कूल और यहां पढ़ने वाले बच्चे अनमोल धरोहर हैं। मैं यह भी नहीं बताना चाहता कि अपने इस स्कूल में निजी पैसा खर्च कर रहा हूं। मगर, इस स्कूल के सौंदर्यीकरण के लिए भरसक प्रयास किए हैं। आगे भी कोशिश रहेगी कि स्कूल को बेहतर बनाया जाए। जो भी जरूरत होती है, वह बच्चों को अगली सुबह स्कूल में मिलती है।
- पिता कहते थे कुछ ऐसा करो लोग याद करें
अजय ने बताया, जब मैं बेसिक शिक्षा विभाग में आया, तब पिता की खुशी दोगुनी हो गई। वह कहते थे कि गांवों में लोग प्रधान के चुनाव में बहुत खर्च करते हैं। वह तो पांच साल का चुनाव होता है। इसलिए कुछ ऐसा करना कि गांव ही नहीं, पूरा जिला और समाज याद करे। पिता की इसी सीख से मैंने अपने इस स्कूल को जिले का टॉप स्कूल बना दिया।वह कहते हैं, पिताजी मेरे सामने नहीं है, लेकिन वह जहां भी उनकी प्रेरणा हमेशा मेरे साथ रहेगी।
- टीचर के कार्य के लिए के अन्य टीचर हुए कायल
अजय कुमार स्कूल की छुट्टी के बाद और रविवार को वह खुद अपना ज्यादातर समय स्कूल के लिए देते हैं। वहां झाड़ू भी खुद लगाते हैं। अजय का कहना है ऐसा कार्य करते हुए उन्हें सुखद अनुभूति मिलती है। अजय के इस कार्य के लिये स्कूल अन्य टीचर व कर्मचारी कायल हो गये है।