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    विशेष रिपोर्ट। चांद आहें भरेगा, लोग दिल थाम लेंगे, अब नहीं 'चंदा मामा दूर के', नासा ने की फिर तैयारी, नासा का नया चंद्र अभियान आज से।

    अतुल कपूर (स्टेट हेड)

    विशेष रिपोर्ट। हम आपको यह पुराना फिल्मी गीत 'चांद आहें भरेगा, लोग दिल थाम लेंगे' सुनाने नहीं जा रहे हैं बल्कि यह बताने जा रहे हैं कि आज का दिन, ऐतिहासिक होने वाला है, क्योंकि आज से एक बार फिर से इंसानों को चंद्रमा पर भेजने का मिशन लॉन्च हो रहा है और पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनेगी, क्योंकि आज से करीब 53 साल पहले पहली बार इंसानों ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा था, जब नील आर्मस्ट्रॉंग को चंद्रमा पर भेजा गया था और अब एक बार फिर से नासा इंसानों को चंद्रमा पर भेजने वाला है, जिसके लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और मिशन का पार्ट-1 आज लॉन्च होने वाला है। 

    दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट अपने लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है और आज आर्टिमिश मिशन-1 का पहला पार्ट लॉन्च होने वाला है।

    • नासा के नए चंद्र-अभियान का पहला चरण आज 

    अमेरिका के फ्लोरिडा स्थिति लॉन्च पैड से नासा अपने आर्टिमिश मिशन-1 के पहले पार्ट को लॉन्च करेगा, जिसके तहत एक खाली कैप्सूल को चांद की सतह पर उतारा जाएगा। मिशन के पहले पार्ट में किसी इंसान को चांद पर नहीं भेजा जाएगा और इस खाली कैप्सूल का नाम 'आरोयन' है, जो 6 फीट लंबा है। ओरायन कैप्सूल इस मिशन मे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और ये 42 दिनों के वापस धरती पर लौट आएगा। ओरायन कैप्सूल इसलिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए सिस्टम और प्रक्रिया पर परीक्षण किया जाएगा और 42 दिनों के बाद 10 अक्टूबर को धरती पर इसकी वापसी होगी। आर्टेमिस -1 फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा और एक बार पार्ट-1 कामयाब होने के बाद पार्ट-2 की तैयारी शुरू हो जाएगी।

    • सुहाना सफर और मौसम हसीं

    आशा व्यक्त की जा रही है कि इस नए चंद्र अभियान के तहत मौसम भी सुहावना रहेगा और चंद्रमा की ओर विज्ञान का यह नया कैप्सूल-सफर भी सुहाना ही रहेगा। स्पेस लॉन्च डेल्टा 45 से जुड़े मौसम विज्ञानियों ने सोमवार को लॉन्च के लिए अनुकूल मौसम की 70 प्रतिशत संभावना की भविष्यवाणी की है। हालांकि, नासा ने 2 घंटे का लॉन्चिंग विंडो रखा है और अगर मौसम खराब होता है, तो नासा के पास कुछ एक्स्ट्रा टाइम भी होगा।

    • आप भी नासा की वेबसाइट पर देख सकते हैं आज यह नजारा

    29 अगस्त को दो घंटे की लॉन्च विंडो में अंतरिक्ष यान के पहले प्रक्षेपण को लक्षित किया जा रहा है। लिफ्ट-ऑफ वर्तमान में सोमवार यानि 29 को सुबह 8:33 बजे EDT या शाम 6:00 बजे IST के लिए निर्धारित है। इसके उड़ान को नासा के आधिकारिक वेबसाइट पर देखा जा सकता है। नासा का ये रॉकेट 322 फुट यानि 98 मीटर का है और अपोलो मिशन के 50 सालों के बाद चंद्रमा के दूर इलाके में इसे उतारा जाएगा। नासा के हाई-टेक, स्वचालित ओरियन कैप्सूल का नाम नक्षत्र के नाम पर रखा गया है, जो रात के आसमान में सबसे चमकीला है। ये अपोलो के कैप्सूल की तुलना में काफी विशाल है, जिसमें तीन के बजाए चार अंतरिक्ष यात्री बैठ सकते हैं। नासा का लक्ष्य साल 2025 में दो अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतारना है।

    • चंदा मामा दूर के

    यह खबर लिखते समय अचानक बचपन में मां की सुनाई लोरी याद आ गई।"चंदा मामा दूर के, पुए पकाए पूर के। आप खाएं थाली में, मुन्ने को दे प्याली में"। लगता है कि अब यह दूरी भी प्रासंगिक नहीं रहेगी क्योंकि नासा का ये मिशन काफी महत्वपूर्ण है। इसके लिए वैज्ञानिक कई तरह की प्लानिंग कर रहे हैं, जिसमें चंद्रमा पर कॉलोनी बसाने के अलावा चंद्रमा को बेस कैंप बनाने की भी है, ताकि भविष्य में अन्य ग्रहों के लिए जो मिशन हो, उसका बेस कैंप चंद्रमा बने। वहीं, आर्टिमिस मिशन के तहत जो अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर भेजे जाएंगे, उनका मिशन चंद्रमा पर कई तरह का खोज करना होगा, ताकि इंसानी जीवन बसाने की किसी योजना की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। आज जो खाली कैप्सूल भेजा जाने वाला है, वो एक तरह से रिहर्सल है और जांच की जा रही है, कि क्या सबकुछ ठीक है? ओरायन कैप्सूल के साथ रेडिएशन के प्रभाव की जांच के लिए कुछ स्पेस शूट और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को जानने के लिए कुछ खिलौने भी भेजे जा रहे हैं।

    • 10 अक्टूबर को होगी ओरायन की वापसी

    नासा का ये खाली कैप्सूल ओरायन 42 दिनों तक चंद्रमा पर रहने के बाद वापस लौट आएगा। लॉन्चिंग के बाद ओरायन कैप्सूल का अपना एक अलग रॉकेट होगा, जो लगातार चंद्रमा की कक्षा में अंडाकार आकृति में चक्कर लगाते रहेगा और खत्म होने के बाद ये एक बार फिर से धरती की तरफ रवाना हो जाएगा। जब ये रॉकेट वापस धरती की कक्षा में प्रवेश करेगा, उस वक्त इसकी रफ्तार 39 हजार 400 किलोमीटर प्रतिघंटे की होगी। वहीं, ये रॉकेट प्रशांत महासागर में लैंड करेगा। इस मिशन के तहत हर एक मिनट में 4 लाख 9 हजार लीटर तरल ऑक्सीजन और ऑक्सीजन जलेंगे, जिससे ऊर्जा लेकर रॉकेट चंद्रमा की तरफ आगे बढ़ेगा। वहीं, नासा के आर्टिमिस मिशन का ये पार्ट करीब 6 हफ्ते का है और ये करीब 21 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा।

    • इन फिल्मी गीतों पर भी क्या लगेगा चंद्र ग्रहण?

    यदि नासा का यह नवीन चंद्र अभियान सफल रहा तो मुमकिन है कि इन पुराने फिल्मी गीतों पर भी चंद्र ग्रहण लग जाए। 'चांद जैसे मुखड़े पर बिंदिया सितारा', 'चंदा ओ चंदा', 'चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो', 'चांद को क्या मालूम चाहता है उसे एक चकोर', 'दम भर को ठहर जा चंदा, मैं उनसे प्यार कर लूंगी, बातें हजार कर लूंगी' जैसे अनेक फिल्मी गीत बेमतलब हो जाएंगे।

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