वाराणसी। पिता ने कहा बचपन की शरारतों ने ही आज कमन्वेल्थ गेम में कांस्य पदक दिला दिया।
वाराणसी। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के क्वार्टर फाइनल में काशी के विजय यादव ने ब्रांज मेडल जीत लिया। ये गेम उन्होंने सिर्फ 58 सेकंड में अपने नाम किया। इस कामयाबी पर वाराणसी के उनके गांव सुलेमापुर (महुअरियां) में जश्न का माहौल है। पिता दशरथ यादव कहते हैं बचपन से शरारती था। खूब हाथ-पैर हवा में मारता था। आज इन्हीं खुराफातों ने उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रांज मेडल दिला दिया। इतनी कम उम्र में नाम रोशन किया है। गांव में हमारा सीना चौड़ा हो गया। विजय के भाई विकास अपने भाई की कामयाबी पर खुश थे। वो बस ड्राइवर हैं। विकास कहते हैं बचपन में विजय चाचा गोपाल के साथ गांव के व्यायामशाला में कुश्ती लड़ता था।
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विजय के गांव में ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाच रहे लोग |
जॉब तलाश रहे दूसरे भाई अजय कहते हैं हमारा पूरा परिवार गरीबी से जूझ रहा था। हमारे पास एक गाय है। 10 बिस्वा खेती की जमीन है। अभी दो बहनों की शादी भी करनी है। अब जीवन सुधरने की उम्मीद जगी है। विजय के पिता दशरथ हंसते हुए कहते हैं विजय पढ़ने में कमजोर था। बचपन से ही हाथ-पैर चलाना खूब पसंद था। वो इतना शरारती था कि एक पैंट की जगह दो पैंट पहनकर स्कूल जाता था। उसे लगता था कि मास्टर डंडा मारेंगे तो कम चोट लगेगी। मां चिंता देवी ने कहा हमार बेटा अउर आगे बढ़ें। गांव-देश के लोग का नाम करें। आशीर्वाद दे रहे हैं कि वह ऐसे ही कामयाबी के झंडे गाड़े। विजय की जीत के बाद गांव के लोग ढोल-नगाड़ों और डीजे पर राष्ट्रीय ध्वज लगाकर नाच-गा रहे हैं। दोस्तों में मिठाइयां बंट रहीं हैं। परिवार के लोगों को बधाई दी जा रही है।