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    शाहजहाँपुर। प्राथमिक विद्यालय में महाराणा प्रताप का जयंती उत्सव मनाया गया।

    शाहजहाँपुर। जलालाबाद में पूर्व माध्यमिक विद्यालय मालूपुर में महाराणा प्रताप की जयंती उत्सव बड़ी धूम धाम से मनाई गई। इस दौरान बच्चो और शिक्षकों ने उनके चित्र पर दीप प्रज्वलित करते हुए पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस दौरान एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानाध्यापक नरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि राणा महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई सन 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह और माँ राणी जीवत कवर थी। महाराण प्रताप भी अपने पूर्वजों की तरह निर्भीक और देशभक्त राजा थे। 

    विपिन अग्निहोत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप को अपनी माटी से अत्यधिक प्रेम था। उन्होंने मरते दम तक हर स्वीकार नही की। सम्राट अकबर ने महाराणा प्रताप से कहा कि तुम मेरे अधीन हो जाये मै तुम्हे आधे हिंदुस्तान का राज्य दे दूँगा जिस पर तुम शासन करना। लेकिन इसको अस्वीकार करते हुए महाराणा प्रताप अपने बीस हज़ार देशभक्त सैनिको के साथ अकबर के पचासी हज़ार सैनिको से मुकाबला किया। लेकिन हार नही मानी। महाराणा प्रताप का घोडा चेतक के बारे मे कहा जाता है कि वो हवा से भी तेज़ दौड़ता था।

    अपने राज्य को जीतने के लिए महाराणा प्रताप ने घास की रोटियां खायी लेकिन अधीनता स्वीकार नही की। इन्होंने सन 1568 से सन 1597 तक शासन किया। हिन्दुस्तान के देशभक्त वीर महाराण प्रताप 29 जनवरी 1597 के दिन वीरगति को प्राप्त हुए। महाराणा प्रताप वीरता और दृढ़ प्रण के लिये हमेशा प्रथम पंक्ति मे याद किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि सभी बच्चो को इनके आदर्शो को अपने जीवन मे उतारना चाहिए। इस दौरान कृष्ण मुरारी पांडे सहित बच्चे व ग्रामवासी उपस्थित रहे।

    फ़ैयाज़ उद्दीन 

    Initiate News Agency (INA) , शाहजहाँपुर

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