देवबंद। नवरात्र विशेष : नवरात्र के तीसरे दिन माॅ चन्द्रघंटा के स्वरूप की पूजा अर्चना की गई।
.............. नगर के मन्दिरो में श्रद्धालूओं की रही भारी भीड़, माॅ के मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है: सन्दीप शर्मा
देवबंद। नवरात्र के तीसरे दिन माॅ चन्द्रघंटा के स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। सोमवार को नगर के मन्दिरो में श्रद्धालूओं की भारी भीड मौजूद रही। माॅ के भक्तों ने माॅ को भोग लगाकर मनोमनाएं पूर्ण की कामना की।
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श्री त्रिपुर माॅ बाला सुन्दरी देवी मन्दिर में पुजा करते श्रद्धालू |
पुजारी सन्दीप शर्मा ने बताया कि नवरात्र के तीसरे दिन माॅ चंद्रघंटा की पूजा होती है। माॅ का यह स्वरूप बेहद ही सुदंर एंव मनमोहक और आलौकिक है। चंद्र के समान सुंदर माॅ के इस रूप से दिव्य सुंगधियों और दिव्य ध्वनियों का आभास होता है। माॅ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। शर्मा ने बताया कि माॅ के मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है इसलिये इन्हें चन्द्रघंटा देवी कहा जाता है इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। इनके दस हाथ है तथा दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित है और माॅ का वाहन सिंह है, यह वीरता और शक्ति का प्रतिक है। उन्होने कहा कि माॅ से जो भी सच्चे मन से मांगो वो जरूर पूरा होता है। आज के दिन जातक को मन से माॅ की पूजा करनी चाहिए। जिसके चलते उस पर आने वाले हर संकट को माॅ उससे दूर कर देंगी। उन्होने बताया कि नवदुर्गाओ में तीसरी शक्ति के रूप में पुज्यनीय माॅ चंद्रघंटा शत्रुहंता के रूप में विख्यात है माॅ चंद्रघंटा का दिव्यरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है इनकी अराधना से समस्त शत्रुओं तथा भाग्य की बाधाओं का नाष होकर अपार सुख-सम्पत्ति मिलती है। श्री शर्मा ने माॅ चंद्रघंटा की पूजा विधि के बारे में बताया कि माॅ के चित्र अथवा प्रतिमा को सुन्दर ढंग से सजाकर फुलमाला अपर्ण करें, उसके बाद दीपक जलाएं, प्रसाद चढाएं और मन वचन और कर्म से शुद्ध होकर मंत्र ‘‘या देवी सर्वभुतेषु माॅ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।’’ का 108 बार जप करें। माॅ को भोजन में दही और हलवा का भोग लगाया जाता है।
शिबली इकबाल
Initiate News Agency (INA), देवबंद