पलवल। गांव गढ़ी पट्टी में दो महीने से लोगों को नही मिल रहा पीने का पानी
पलवल। जिले के गांव गढ़ी पट्टी में दो महीने से लोगों को नही मिल रहा पीने का पानी। परीक्षाएं सर पर होने के बाद भी छात्र , छात्राएं दिन भर ढोती हैं पानी उनके साथ साथ ग्रामीण महिलाएं सर पर पानी ढोते ढोते हुई परेशान, ग्रामीण महिलाओं का कहना है की यह पानी की समस्या दो महीने से नही कई वर्षों से बनी हुई है लेकिन उनकी कोई सुनाई नहीं करता है। पब्लिक हेल्थ विभाग के जे ई अजय कांगड़ा का कहना है की जल्द ही गांव की इस पीने के पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा।
पलवल जिले के गांव गढ़ी पट्टी में गर्मी का मौसम शुरू होते ही पेयजल की समस्या बनने लगी है। हालात ये हैं कि गांव में लोग बच्चों सहित दूर-दराज से पानी भरकर लाने को मजबूर हैं। परीक्षाएं सिर पर होने के बावजूद बच्चों को स्कूल जाने से पहले घर में पानी का इंतजाम करना पड़ता है। बार-बार ग्रामीणों द्वारा इस समस्या की शिकायत अधिकारियों से करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो रह है। अब हालात ये हो गए हैं कि ग्रामीणों को टैंकर खरीदकर पानी मंगवाना पड़ रहा है। जन स्वास्थ्य विभाग कभी मोटर खराब का बहाना लेते हैं तो कभी बिजली न आने का बहाना बनाते हैं। गांव गढ़ी में जमीनी पानी पीने लायक नहीं है। इसलिए सरकार की तरफ से गांव में तीन बूस्टर लगवाए हुए हैं ताकि ग्रामीणों को स्वच्छ व पीने लायक पानी दिया जा सके। उसके बावजूद गांव में पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। दो माह से तो पानी बिल्कुुल नहीं आ रहा है। जिस कारण लोगों को यूपी की सीमा से पीने के पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है। इन बूस्टरों को उत्तर प्रदेश हरियाणा सीमा पर लगाए हुए ट्यूबवेलों से जोड़ा हुआ है, ताकि गांव में सही से पानी पहुंच सके। इन बूस्टर व ट्यूबवेल में कोई दिक्कत आती है तो गांव में पीने का पानी आना बंद हो जाता है। पानी की समस्या दूर न होने पर ग्रामीणों में रोष बना हुआ है।
गढी गांव की महिलाओं और छात्र छात्राओं का कहना है की सरकार ने नगर परिषद में तो जोड़ दिया, लेकिन सुविधाएं उस तरह की नहीं दी है। आज भी पेयजल लाइन ग्रामीण क्षेत्रों से होकर आ रही है। पानी की समस्या बेहद गंभीर समस्या बनी हुई है। खेतों में काम चल रहा है,लेकिन उसे छोड़कर बाहर से पानी लाना पड़ता है। गांव में दो महीने से पानी की विकट समस्या है। घरों में पीने के लिए पानी नहीं है। आज हालात ये हैं कि पांच-पांच किलोमीटर दूर से जाकर पानी लाना पड़ता है। या फिर पैसों से टैंकर खरीदकर पानी मंगवाना पड़ता है। समस्या दूर होनी चाहिए । घर में सुबह काम का समय होता है, लेकिन हमें बाहर से पीने का पानी लाने जाना पड़ता है। खेत व घर का काम छोड़ बर्तन हाथ में लिए पानी के लिए भटकते फिरते हैं। इस उम्र में भी बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। मैं छात्रों ने कहा की 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं तथा मेरी परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। परंतु पढ़ाई पर ध्यान देने के बजाय घर में पीने के पानी का इंतजाम करना पड़ता है। सुबह स्कूल जाने से पहले बाहर से पानी भरकर लाना पड़ता है। इस समस्या पर सरकार ध्यान दे। जब इस बारे में पब्लिक हेल्थ विभाग के जे ई अजय कांगड़ा से बात की तो उन्होंने बताया की गांव में पीने के पानी के पूरे इंतजाम किए हुए हैं। गांव में तीन बूस्टर बनाए हुए हैं जो पानी की सप्लाई करते हैं। बूस्टरों में लगी मोटरें अक्सर खराब हो जाती हैं, लेकिन विभाग की तरफ से खराब मोटरों को बनवाकर ठीक करवा दिया जाता है। अगर गांव में फिलहाल पीने के पानी की किल्लत है तो उसे जल्द ही ठीक करवा दिया जाएगा। मैं खुद गांव में जाकर समस्या देखूंगा तथा समस्या दूर की जाएगी।
ऋषि भारद्वाज
Initiate News Agency (INA), पलवल