कानपुर में आज भी एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनायी जाती है होली
कानपुर में आज भी एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनायी जाती है होली
कानपुर : कई दिन पहले पूरे देश ने होली का त्योहार धार्मिक तौर पर मनाया था लेकिन क्रान्ति के शहर कानपुर में आज भी होली मनायी जा रही है लेकिन एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में। यहाॅ भारत माता की चूनर को धानी रंगने के लिये अबीर गुलाल उड़ाये जा रहे हैं और स्वतन्त्रता संग्राम की एक खास घटना का जश्न मनाने के लिये पूरा शहर रंगो से सराबोर है।इसकी शुरुआत आज हटिया के रज्जन बाबू पार्क से तिरंगा झंडा रोहण के साथ हुआ।
कानपुर के आसमान आज नीला नहीं बल्कि बसन्ती हो रहा है। वो बसन्ती रंग जिसका चोला पहन कर क्रान्तिकारी फाॅसी चढ़ गये थे। होली के दिन जितना रंग नहीं उड़ाया गया होगा, उससे सैंकड़ों गुना ज्यादा रंग आज दीवानों पर चढ़ा हुआ है। हर गली कूचे में रंग खेला जा रहा है तो हटिया का प्रसिद्ध होली ठेला शहर के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करते हुए निकल रहा है। दरअसल क्रान्तिकारियों के इस शहर में एक सप्ताह तक होली मनाने की परम्परा स्वाधीनता संग्राम की एक घटना से जुड़ी हुई जो अंग्रेजी हुकूमत की हार का प्रतीक है।उस समय कुछ देशभक्त नौजवानों की एक टोली ने हटिया इलाके से निकल रहे अंग्रेज पुलिस अधिकारियों पर रंग डालकर ’’ टोडी बच्चा हाय हाय ‘‘ के नारे लगाये थे। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत का कहर बरपा हुआ। घुड़सवार पुलिस ने डण्डे बरसाते हुए कई जियाले नौजवानों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। तब स्वतन्त्रता सेनानी बाबू गुलाब चन्द्र सेठ की अगुवाई में ऐसा जन आन्दोलन खड़ा हुआ कि ब्रिटानिया हुकूमत थर्रा उठी। सात दिनों तक चले संघर्ष के बाद सभी गिरफ्तार देशभक्त जियाले अंग्रेजी कैद से छुड़ा लिये गये। तब देशभक्तों ने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिये होली का मेला लगाया और जमकर अबीर गुलाल उड़ाया। इस ऐतिहासिक घटना के दिन अनुराधा नक्षत्र था और तब से हर साल होली के बाद अनुराधा नक्षत्र पर होली मेला लगाने की परम्परा पड़ गयी।आज इस गंगा मेला में हटिया रज्जन बाबू पार्क में विधान परिषद सदस्य सलिल विश्नोई, विधायक अमिताभ बाजपेयी और कई अधिकारी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
इब्ने हसन जैदी
आईएनए न्यूज़ एजेंसी, कानपुर उत्तर प्रदेश