अयोध्या: गुप्तार धाट का धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व, जहां से भगवान राम अपने दिव्य धाम को जल समाधि के माध्यम से गये थे
अयोध्या: गुप्तार धाट का धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व, जहां से भगवान राम अपने दिव्य धाम को जल समाधि के माध्यम से गये थे
अयोध्या।
दुनिया भर के धार्मिक,पौराणिक एव पर्यटक नगरी मे अयोध्या का अपना अलग ही महत्व है। भगवान राम की पावन नगरी होने का गौरव प्राप्त है।धार्मिक ही नहीं पर्यटन के नजरिये से भी महत्वपूर्ण है। अयोध्या के गुप्तार घाट का अपना अलग ही महत्व है।

गुप्तार घाट के पास ही मिलिट्री मन्दिर, कम्पनी गार्डन, राजकीय उद्यान और अन्य प्राचीन मन्दिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। नौका विहार और लम्बे रेतीले मैदानों के इर्द-गिर्द हरियाली व शान्त वातावरण और सूर्यास्त की निराली छटा लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है।

बताया जाता है कि जब भगवान राम ने जीवन लीला करके जल समाधि लेकर दिव्य धाम गये तो अयोध्या उजड़ सी गई थी। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साथ ही कीट-पतंग तक उनके दिव्य धाम चले गये, जिसके चलते अयोध्या उजड़ सी गई थी। प्राचीन इतिहास के मुताबिक, महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या नगरी को बसाया था। अयोध्या में गुप्तार घाट के अलावा ऋणमोचन घाट, लक्ष्मण घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट काफी मशहूर हैं। मौजूदा समय मे सरकार का ध्यान अयोध्या नगरी की तरफ मेहरबान है। जिस कारण अयोध्या के विकास का पहिया आगे बढ रहा है।गुप्तार धान के विकास पर भी पूरा ध्यान है।

यहा आने के लिए रेल यातायात के अलावा यहां 24 घंटे के लिए यहां रोडवेज बस सेवा भी उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश परिवहन की बसें हर 10 मिनट में और रेल सेवा हर घंटे पर उपलब्ध है। यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशन अयोध्या और फैजाबाद जंक्शन हैं।
देव बक्श वर्मा अयोध्या
अयोध्या।
दुनिया भर के धार्मिक,पौराणिक एव पर्यटक नगरी मे अयोध्या का अपना अलग ही महत्व है। भगवान राम की पावन नगरी होने का गौरव प्राप्त है।धार्मिक ही नहीं पर्यटन के नजरिये से भी महत्वपूर्ण है। अयोध्या के गुप्तार घाट का अपना अलग ही महत्व है।
गुप्तार घाट के पास ही मिलिट्री मन्दिर, कम्पनी गार्डन, राजकीय उद्यान और अन्य प्राचीन मन्दिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। रामनगरी अयोध्या का जब भी जिक्रआता है तो भगवान राम के जन्मस्थली की तस्वीर सामने आ ही जाती है। जहां पर भगवान् राम बाल लीलायें किया करते थे। भगवान की स्मृतियों को समेटे राम नगरी में वैसे तो कई दर्शनीय स्थल हैं। जिसमे राम जन्मभूमि हनुमानगढी कनकभवन आदि है।, लेकिन वही पर गुप्तार घाट की अपनी अलग ही विशेषता है। यह वह घाट है, जहां भगवान श्रीराम ने जीवन लीला समाप्त करके जलसमाधि ली थी। सरयू नदी के किनारे स्थित गुप्तार घाट पर कई छोटे-छोटे मन्दिरों के साथ यहां का सुन्दर दृश्य मन को मोह लेने वाला है। मुक्ति पाने की इच्छा लेकर इस स्थान पर दर्शनार्थी आते हैं।बताया जाता है कि 19वीं सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा गुप्तार घाट का नवनिर्माण करवाया गया था। इस घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं।

गुप्तार घाट के पास ही मिलिट्री मन्दिर, कम्पनी गार्डन, राजकीय उद्यान और अन्य प्राचीन मन्दिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। नौका विहार और लम्बे रेतीले मैदानों के इर्द-गिर्द हरियाली व शान्त वातावरण और सूर्यास्त की निराली छटा लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है।

बताया जाता है कि जब भगवान राम ने जीवन लीला करके जल समाधि लेकर दिव्य धाम गये तो अयोध्या उजड़ सी गई थी। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साथ ही कीट-पतंग तक उनके दिव्य धाम चले गये, जिसके चलते अयोध्या उजड़ सी गई थी। प्राचीन इतिहास के मुताबिक, महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या नगरी को बसाया था। अयोध्या में गुप्तार घाट के अलावा ऋणमोचन घाट, लक्ष्मण घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट काफी मशहूर हैं। मौजूदा समय मे सरकार का ध्यान अयोध्या नगरी की तरफ मेहरबान है। जिस कारण अयोध्या के विकास का पहिया आगे बढ रहा है।गुप्तार धान के विकास पर भी पूरा ध्यान है।

यहा आने के लिए रेल यातायात के अलावा यहां 24 घंटे के लिए यहां रोडवेज बस सेवा भी उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश परिवहन की बसें हर 10 मिनट में और रेल सेवा हर घंटे पर उपलब्ध है। यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशन अयोध्या और फैजाबाद जंक्शन हैं।
देव बक्श वर्मा अयोध्या