मौत ने बनाया राहत इंदौरी को ज़मीदार, वह शख्स जिसने सलीका सिखाया था चलने का आज दाएं-बाएं हो गया
मौत ने बनाया राहत इंदौरी को ज़मीदार, वह शख्स जिसने सलीका सिखाया था चलने का आज दाएं-बाएं हो गया
ब्यूरो-बदायूं.
डॉ राहत इंदौरी जिनका असली नाम राहत कुरेशी था 1 जनवरी 1950 को इंदौर में पैदा हुआ एक महान शायर और बॉलीवुड का महान गीतकार अब इस दुनिया को विदा कर गया है.
चित्रकारी से शायर बना राहत इंदौरी जिसने दुनिया में अपनी शायरी और गीतों का लोहा मनवाया पीएचडी में डिग्री हासिल कर राहत इंदौरी एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बने. राहत इंदौरी ने अपने जीवन में शायरी को एक नया आयाम दिया और शायरी कहने और सुनने का दुनिया को मतलब बताया. डॉ राहत इंदौरी ने जहां अपनी शायरी से लोगों का दिल जीता. वही उन्होंने अपने लहजे से भी अपनी शायरी का लोहा मनवाया.
दो गज ही सही पर मिल्कियत है मेरी ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया.
मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं जमीन हूं मैं , मगर उसे तो खबर है कि कुछ नहीं हूं मैं
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको, वहां ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं
ब्यूरो सालिम रियाज़ की रिपोर्ट
ब्यूरो-बदायूं.
डॉ राहत इंदौरी जिनका असली नाम राहत कुरेशी था 1 जनवरी 1950 को इंदौर में पैदा हुआ एक महान शायर और बॉलीवुड का महान गीतकार अब इस दुनिया को विदा कर गया है.
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फोटो- शायर राहत इंदौरी के साथ आईएनए एजेंसी की प्रधान संपादक विजय लक्ष्मी सिंह |
चित्रकारी से शायर बना राहत इंदौरी जिसने दुनिया में अपनी शायरी और गीतों का लोहा मनवाया पीएचडी में डिग्री हासिल कर राहत इंदौरी एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बने. राहत इंदौरी ने अपने जीवन में शायरी को एक नया आयाम दिया और शायरी कहने और सुनने का दुनिया को मतलब बताया. डॉ राहत इंदौरी ने जहां अपनी शायरी से लोगों का दिल जीता. वही उन्होंने अपने लहजे से भी अपनी शायरी का लोहा मनवाया.
दो गज ही सही पर मिल्कियत है मेरी ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया.
मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं जमीन हूं मैं , मगर उसे तो खबर है कि कुछ नहीं हूं मैं
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको, वहां ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं
ब्यूरो सालिम रियाज़ की रिपोर्ट