अयोध्या- राम मंदिर बनने में 3 साल का समय लगेगा, राम मंदिर इतना मजबूत व भव्य होगा, जिसकी दमक व मजबूती, हजारों साल तक बनी रहेगी
राम मंदिर बनने में 3 साल का समय लगेगा, राम मंदिर इतना मजबूत व भव्य होगा, जिसकी दमक व मजबूती, हजारों साल तक बनी रहेगी
अयोध्या।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरीअयोधया में बन रहे राम मंदिर की मजबूती इतनी होगी की हजारों साल तक मंदिर की दमक व मजबूती बनी रहेगी। मंदिर निर्माण के लिए जो श्रद्धालु तांबे की पट्टियां दान करेंगे, वह चाहें तो अपना और उनके परिवार का नाम, पता इन पट्टियों पर अंकित करा सकते हैं।
राम मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही हैं। श्रीराम के भव्य मंदिर में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। बल्कि मंदिर को तांबे की पट्टियों से जोड़ा जाएगा। इसमें दस हजार से ऊपर तांबे की पट्टियां प्रयुक्त होंगी, जिनको दान में लिया जाएगा। इसको लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार जो श्रद्धालु तांबे की पट्टियां दान करेंगे, वह चाहें तो उनका और उनके परिवार का नाम, पता इन पट्टियों पर अंकित करा सकते हैं। मतलब जब रामलला का मंदिर आस्तित्व में रहेगा, तब तक दानकर्ताओं और उनके परिवार का नाम जिंदा रहेगा।
यह तांबे की पट्टियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, बल्कि मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी। हमको इसकी जरूरत है। इसे हम लोगों से दान में लेंगे। इन पट्टियों में लोग अपने गांव-मोहल्ले का नाम लिखकर भेजें। । यह 18 इंच लंबी, तीन मिमी मोटी तथा 30 मिमी चौड़ी होंगे। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा और उसके बाहर परकोटा बनेगा। यह आमजन की तरफ से सीधा योगदान होगा। इसके लिए हमको दो-दो इंच की दस हजार रॉड भी चाहिए। मंदिर निर्माण में 10,000 तांबे की पट्टियां व रॉड भी चाहिए। इसके लिए दानियों को आगे आने की जरूरत है।
अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर इनता भव्य व मजबूत होगा, जिसकी दमक और मजबूती हजारों वर्षों तक बनी रहेगी। भूकम्परोधी मंदिर का निर्माण ऐसा होगा कि हवा, धूप और पानी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगी। मंदिर निर्माण में आईआईटी चेन्नई व रुड़की के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की मदद ली जा रही है। लार्सन एंड टूब्रो कंपनी भी निर्माण कार्य में आईआईटी के इंजीनियरों की सहायता भी ले रही है। मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है, ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, बल्कि भूकम्प, झंझावात और अन्य आपदाओं में उसे किसी भी तरह की क्षति न हो सके।
राम मंदिर बनने में कम से कम 36 महीने का समय लगेगा। इसमें समय दो-चार महीने का समय और भी आगे बढ़ सकता है। मंदिर निर्माण में ढाई एकड़ में लगभग 1200 खंबों की पीलिंग होगी और एक पीलिंग ढाई मीटर की होगी, जिन पर मंदिर का आधार होगा। लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 मीटर गहरे पिलर लगाए जाएंगे।
राम मंदिर निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर के निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पट्टियों का उपयोग किया जाएगा। तांबे में कई खासियतें होती हैं। इसमें कभी जंग नहीं लगती। मजबूती बरकरार रहेगी। यह विद्युत का सुचालक का होता है। कई बार बिजली गिरने के दौरान भवन छतिग्रस्त हो जाता है, जो नहीं होगा।
देव बक्श वर्मा
आई एन ए न्यूज़
अयोध्या उत्तर प्रदेश
अयोध्या।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरीअयोधया में बन रहे राम मंदिर की मजबूती इतनी होगी की हजारों साल तक मंदिर की दमक व मजबूती बनी रहेगी। मंदिर निर्माण के लिए जो श्रद्धालु तांबे की पट्टियां दान करेंगे, वह चाहें तो अपना और उनके परिवार का नाम, पता इन पट्टियों पर अंकित करा सकते हैं।
राम मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही हैं। श्रीराम के भव्य मंदिर में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। बल्कि मंदिर को तांबे की पट्टियों से जोड़ा जाएगा। इसमें दस हजार से ऊपर तांबे की पट्टियां प्रयुक्त होंगी, जिनको दान में लिया जाएगा। इसको लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार जो श्रद्धालु तांबे की पट्टियां दान करेंगे, वह चाहें तो उनका और उनके परिवार का नाम, पता इन पट्टियों पर अंकित करा सकते हैं। मतलब जब रामलला का मंदिर आस्तित्व में रहेगा, तब तक दानकर्ताओं और उनके परिवार का नाम जिंदा रहेगा।
यह तांबे की पट्टियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, बल्कि मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी। हमको इसकी जरूरत है। इसे हम लोगों से दान में लेंगे। इन पट्टियों में लोग अपने गांव-मोहल्ले का नाम लिखकर भेजें। । यह 18 इंच लंबी, तीन मिमी मोटी तथा 30 मिमी चौड़ी होंगे। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा और उसके बाहर परकोटा बनेगा। यह आमजन की तरफ से सीधा योगदान होगा। इसके लिए हमको दो-दो इंच की दस हजार रॉड भी चाहिए। मंदिर निर्माण में 10,000 तांबे की पट्टियां व रॉड भी चाहिए। इसके लिए दानियों को आगे आने की जरूरत है।
अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर इनता भव्य व मजबूत होगा, जिसकी दमक और मजबूती हजारों वर्षों तक बनी रहेगी। भूकम्परोधी मंदिर का निर्माण ऐसा होगा कि हवा, धूप और पानी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगी। मंदिर निर्माण में आईआईटी चेन्नई व रुड़की के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की मदद ली जा रही है। लार्सन एंड टूब्रो कंपनी भी निर्माण कार्य में आईआईटी के इंजीनियरों की सहायता भी ले रही है। मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है, ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, बल्कि भूकम्प, झंझावात और अन्य आपदाओं में उसे किसी भी तरह की क्षति न हो सके।
राम मंदिर बनने में कम से कम 36 महीने का समय लगेगा। इसमें समय दो-चार महीने का समय और भी आगे बढ़ सकता है। मंदिर निर्माण में ढाई एकड़ में लगभग 1200 खंबों की पीलिंग होगी और एक पीलिंग ढाई मीटर की होगी, जिन पर मंदिर का आधार होगा। लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 मीटर गहरे पिलर लगाए जाएंगे।
राम मंदिर निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर के निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पट्टियों का उपयोग किया जाएगा। तांबे में कई खासियतें होती हैं। इसमें कभी जंग नहीं लगती। मजबूती बरकरार रहेगी। यह विद्युत का सुचालक का होता है। कई बार बिजली गिरने के दौरान भवन छतिग्रस्त हो जाता है, जो नहीं होगा।
देव बक्श वर्मा
आई एन ए न्यूज़
अयोध्या उत्तर प्रदेश