प्रत्येक वस्तु शिव से पैदा हुई और अंततः उसी में विलीन होगी
प्रत्येक वस्तु शिव से पैदा हुई और अंततः उसी में विलीन होगी
शाहजहांपुर।
पर्यावरण संरक्षण एवं सामुदायिक हितों के प्रति समर्पित संस्था पृथ्वी के तत्वावधान में मुमुक्षु आश्रम परिसर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में आज सावन के दूसरे सोमवार के उपलक्ष्य में श्री शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष डॉ. विकास खुराना ने बताया कि शिव आदि काल से ही पर्यावरण के रक्षक देव है। सैन्धव सभ्यता काल की प्राप्त मुहरों में उनके सिर से बेल निकलते दिखाई पड़ती है वही वैदिक साहित्य में उन्हें रुद्र कहा गया जो समाज की नैतिक शक्तियो के संरक्षक है। भक्ति काल मे वे लोक का कल्याण करने वाले शंकर कहलाये जिन्होंने समुद्र मंथन के समय विष को अपने गले मे धर कर नील कंठ की उपमा को धारण किया। वे योग दर्शन के प्रथम प्रतिपादक है।
वस्तुतः शिव का अभिप्राय है वो जो है ही नही अर्थात शून्य, विज्ञान कहता है कि प्रत्येक वस्तु शून्य से उत्पन्न हुई और शून्य में विलीन होगी। भारतीय मीमांसा कहती है कि प्रत्येक वस्तु शिव से पैदा हुई और अंततः उसी में विलीन होगी। एसएस कालेज के इतिहास विभाग के प्रवक्ता डॉ. विशाल पांडेय ने कहा कि त्रिदेव में शिव सृष्टि के संहारक है किन्तु इस सृष्टि का विकास तथा विनाश एक ही क्रम है इसी संहार से नवयुग का आरंभ होता है। भारतीय दर्शन गूढ़ है तथा इसमे काल रेखा गोलाकार है। जिंसमे विकास तथा विनाश उसके आयाम है। शिव महाकाल रूप में इस काल रेखा के नियंता है। वेद नेति नेति कह कर उनका बखान करता है। सकल जगत में चर अचर सभी उनकी कृपा के अकांक्षी हैं।कार्यक्रम के मुख्य यजमान एसएस कालेज रसायन विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. आलोक कुमार सिंह तथा सह यजमान भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता डॉ. अनिल कुमार सिंह थे। जबकि मंत्रोचारण पंडित लक्ष्मी कांत पांडेय द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस अवसर पर डॉ. संदीप अवस्थी, डॉ. अखिलेश तिवारी, डॉ. श्रीकांत मिश्रा, अभिजीत मिश्र, हिमांशु मिश्रा, चन्दन गोस्वामी, शशांक गुप्ता, अवनीश सिंह, विपिन कुमार इत्यादी उपस्थित थे।
फ़ैयाज़ उद्दीन शाहजहाँपुर
शाहजहांपुर।
पर्यावरण संरक्षण एवं सामुदायिक हितों के प्रति समर्पित संस्था पृथ्वी के तत्वावधान में मुमुक्षु आश्रम परिसर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में आज सावन के दूसरे सोमवार के उपलक्ष्य में श्री शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष डॉ. विकास खुराना ने बताया कि शिव आदि काल से ही पर्यावरण के रक्षक देव है। सैन्धव सभ्यता काल की प्राप्त मुहरों में उनके सिर से बेल निकलते दिखाई पड़ती है वही वैदिक साहित्य में उन्हें रुद्र कहा गया जो समाज की नैतिक शक्तियो के संरक्षक है। भक्ति काल मे वे लोक का कल्याण करने वाले शंकर कहलाये जिन्होंने समुद्र मंथन के समय विष को अपने गले मे धर कर नील कंठ की उपमा को धारण किया। वे योग दर्शन के प्रथम प्रतिपादक है।
वस्तुतः शिव का अभिप्राय है वो जो है ही नही अर्थात शून्य, विज्ञान कहता है कि प्रत्येक वस्तु शून्य से उत्पन्न हुई और शून्य में विलीन होगी। भारतीय मीमांसा कहती है कि प्रत्येक वस्तु शिव से पैदा हुई और अंततः उसी में विलीन होगी। एसएस कालेज के इतिहास विभाग के प्रवक्ता डॉ. विशाल पांडेय ने कहा कि त्रिदेव में शिव सृष्टि के संहारक है किन्तु इस सृष्टि का विकास तथा विनाश एक ही क्रम है इसी संहार से नवयुग का आरंभ होता है। भारतीय दर्शन गूढ़ है तथा इसमे काल रेखा गोलाकार है। जिंसमे विकास तथा विनाश उसके आयाम है। शिव महाकाल रूप में इस काल रेखा के नियंता है। वेद नेति नेति कह कर उनका बखान करता है। सकल जगत में चर अचर सभी उनकी कृपा के अकांक्षी हैं।कार्यक्रम के मुख्य यजमान एसएस कालेज रसायन विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. आलोक कुमार सिंह तथा सह यजमान भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता डॉ. अनिल कुमार सिंह थे। जबकि मंत्रोचारण पंडित लक्ष्मी कांत पांडेय द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस अवसर पर डॉ. संदीप अवस्थी, डॉ. अखिलेश तिवारी, डॉ. श्रीकांत मिश्रा, अभिजीत मिश्र, हिमांशु मिश्रा, चन्दन गोस्वामी, शशांक गुप्ता, अवनीश सिंह, विपिन कुमार इत्यादी उपस्थित थे।
फ़ैयाज़ उद्दीन शाहजहाँपुर