यूपी पुलिस की गिरफ्त में गोरखपुर का माफिया डान विनोद उपाध्याय, लखनऊ से किया गया गिरफ्तार
यूपी पुलिस की गिरफ्त में गोरखपुर का माफिया डान विनोद उपाध्याय, लखनऊ से किया गया गिरफ्तार
गोरखपुर.
विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से ही यूपी पुलिस का 'ऑपरेशन क्लीन' जारी है। इसके तहत पूर्वांचल के माफियाओं और टॉप टेन बदमाशों पर शिकंजा कसने लगा है। शुक्रवार की देर रात पुलिस ने लखनऊ से पूर्वांचल में आतंक का पर्याय बने माफिया डान विनोद कुमार उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया। इसका अपराध क्षेत्र प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर देवरिया जिले तक रहा है, खौफ इतना कि किसी भी मामले में विनोद उपाध्याय का नाम आते ही मामले सुलझ जाया करते थे।
विनोद उपाध्याय, गोरखपुर का हिस्ट्रीशीटर है। उसकी कहानी भी कानपुर के विकास दुबे से मिलती-जुलती है। सिर पर 24 से ज्यादा संगीन मुकदमे होने के बावजूद विनोद की चाहत विधायक बनने की रही है। उसने गोरखपुर सदर से चुनाव भी लड़ा था। विनोद के समर्थक बड़ी संख्या में नई उम्र के लड़के हैं। वह विधायक तो नहीं बन सका लेकिन अपराध के साथ राजनीति में इतनी पैठ जरूर जमा ली थी कि पुलिस उसके इशारों पर नाचने लगी। इसका एक नमूना यही है कि अपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसने साल 2001 में शाहपुर थाने से रिपोर्ट लगवाकर लाइसेंसी असलहा भी हासिल कर लिया था।
विनोद किसी समय में सत्यव्रत राय का भी करीबी रह चुका है लेकिन जमीन और रुपयों के लेनदेन को लेकर विवाद के बाद उनमें दूरी हो गई थी। विनोद के करीबी गंगेश पहाड़ी और दीपक सिंह की हत्या हो गई थी जिसमें सत्यव्रत और सुजीत चौरसिया समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस हत्याकांड के बाद सत्यव्रत और सुजीत विनोद को भी मारने के लिए ढूंढने लगे। जबकि विनोद अपने साथियों की हत्या का बदला लेने के लिए सुजीत की तलाश करने लगा। इसी क्रम में सुजीत की हत्या की तैयारी में पुलिस ने तीन अगस्त को दबोचा लिया था।
वर्ष 2007 में पीडब्ल्यूडी दफ्तर के सामने विनोद उपाध्याय गैंग पर अजीत शाही-लालबहादुर यादव पक्ष ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। इसमें रिंपुंजय राय और सत्येंद्र की हत्या हो गई थी। इस मामले में अजीत शाही, संजय यादव, इंद्रकेश पांडेय, संजीव सिंह समेत छह लोग जेल गए थे। हालांकि उस हत्याकांड में लालबहादुर यादव के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ था। इसके बाद से दोनों गुटों में दुश्मनी और बढ़ गई थी। बाद में लालबहादुर यादव की हत्या कर दी गई थी जिसमें विनोद उपाध्याय को पुलिस ने अभियुक्त बनााया था और गिरफ्तार भी किया था।
रिपोर्टर अमित कुमार सिंह एवं रीजनल एडिटर संजय राजपूत, INA News गोरखपुर
गोरखपुर.
विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से ही यूपी पुलिस का 'ऑपरेशन क्लीन' जारी है। इसके तहत पूर्वांचल के माफियाओं और टॉप टेन बदमाशों पर शिकंजा कसने लगा है। शुक्रवार की देर रात पुलिस ने लखनऊ से पूर्वांचल में आतंक का पर्याय बने माफिया डान विनोद कुमार उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया। इसका अपराध क्षेत्र प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर देवरिया जिले तक रहा है, खौफ इतना कि किसी भी मामले में विनोद उपाध्याय का नाम आते ही मामले सुलझ जाया करते थे।
विनोद उपाध्याय, गोरखपुर का हिस्ट्रीशीटर है। उसकी कहानी भी कानपुर के विकास दुबे से मिलती-जुलती है। सिर पर 24 से ज्यादा संगीन मुकदमे होने के बावजूद विनोद की चाहत विधायक बनने की रही है। उसने गोरखपुर सदर से चुनाव भी लड़ा था। विनोद के समर्थक बड़ी संख्या में नई उम्र के लड़के हैं। वह विधायक तो नहीं बन सका लेकिन अपराध के साथ राजनीति में इतनी पैठ जरूर जमा ली थी कि पुलिस उसके इशारों पर नाचने लगी। इसका एक नमूना यही है कि अपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसने साल 2001 में शाहपुर थाने से रिपोर्ट लगवाकर लाइसेंसी असलहा भी हासिल कर लिया था।
विनोद किसी समय में सत्यव्रत राय का भी करीबी रह चुका है लेकिन जमीन और रुपयों के लेनदेन को लेकर विवाद के बाद उनमें दूरी हो गई थी। विनोद के करीबी गंगेश पहाड़ी और दीपक सिंह की हत्या हो गई थी जिसमें सत्यव्रत और सुजीत चौरसिया समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस हत्याकांड के बाद सत्यव्रत और सुजीत विनोद को भी मारने के लिए ढूंढने लगे। जबकि विनोद अपने साथियों की हत्या का बदला लेने के लिए सुजीत की तलाश करने लगा। इसी क्रम में सुजीत की हत्या की तैयारी में पुलिस ने तीन अगस्त को दबोचा लिया था।
वर्ष 2007 में पीडब्ल्यूडी दफ्तर के सामने विनोद उपाध्याय गैंग पर अजीत शाही-लालबहादुर यादव पक्ष ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। इसमें रिंपुंजय राय और सत्येंद्र की हत्या हो गई थी। इस मामले में अजीत शाही, संजय यादव, इंद्रकेश पांडेय, संजीव सिंह समेत छह लोग जेल गए थे। हालांकि उस हत्याकांड में लालबहादुर यादव के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ था। इसके बाद से दोनों गुटों में दुश्मनी और बढ़ गई थी। बाद में लालबहादुर यादव की हत्या कर दी गई थी जिसमें विनोद उपाध्याय को पुलिस ने अभियुक्त बनााया था और गिरफ्तार भी किया था।
रिपोर्टर अमित कुमार सिंह एवं रीजनल एडिटर संजय राजपूत, INA News गोरखपुर